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स्मयःच्चा कि ज्ञानादाय तपकस्पापितिपत्र सम्पदा चारित्र लिंगस्ठमठमे इत्यादिचयत उक्तं बनूया विकृतपेश्वर व साधी बधिज्ञानं उत्पद्यते इति
लालमाया माद्या कलिम वा जागतिक लिपावयामा daaaiसादेवासा द्याप दिला गिया। नवरं निला (वासाच त्रिशमसंतदेव निश्वासमै जावस्मम झवनारणावर मिश्राकमा गरिखायाव साम काडल जिस कवलनाणावरणिका एकमा वायका सवति॥सणीसाच्या कवलिम्प्रवाजा व वासिया वा कथ लिएन धमलाल मा या कलांबा दिखाशका) जावाकवलताएंग उप्पाडकाम श्रमं श्रद्वाम अतिरिक पगतितया तादवजावगावसकारमा गुलम्मामारखक
तावा कम्प्याला विमा पत्र दिए। समुपशमाणात दि
उस्सूलिसा हो
तिः यद्यपि बल तिलगंगा साखझाईला पलाया! मागामत्रा इंखंडा इंडा एशियास तिला का तिमालमा खादाड गावखालसा साहा का कह ले साग | नाववालसा । सालात कतिखना नापिन्यखदा।।गा। (तिसुवाखवा दाज्ञातिखादा माणतिलिपि वा दियना पांख्यनाए दिन राणादाला चिदाऊमा या लिपिवा दियना सुथना
तिमृष्यधिज्ञा
प्रत्यात्यध
पवना खांदा।।
तुल