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________________ दवा होता. डी की विद स्पच्य विधिज्ञान उत्पान साषकः सावधिज्ञानी जीवन की गाव दपवधिज्ञान तिएव बदक ।। सन् स्यातू कसाती • सकषाईवा इत्यादि. यः कषायाच्ज्ञाय सतिवलितांत सयः कषाया सन्वधिज्ञानी नावन् य कषायत व्यासोक बायाइतिघर सुवा नगी द्यानांत किमाजागी हा जागी दा का पांजा गांव सिंघसंग यंत प्रत्यावियदात सन् नववीचन संजल साञ्चापत देवनाथ वासलात किंसावद एंव ॥ ॥ सावदपवादाका मिलनात तदा ना श्रविदथा दागा। इतिश्राव दपथा दाजा किंवसंतावदपखी पावदपादा ऊ ॥ संतात्रियुका दपदाना।। खीणावदपादाक्रा जतिसावदपादा का। किञ्चिावदादा को अगादि ति युवा पक वाहाका रिसाव वा दासगावद वादा सास सादादा का क सादाहाका एगा। सर्कसादीवा दाज्ञा कसादी वा दागा। जं दिग्रसादी दाऊ घिलनात यदात्र 7 किं वसंत कसादी दाजा । खीएकसा दी है। का[[व] संतकसादी दागा। खीएक संतुलन मानावि मादी हा अदिस कसादी (दाइ।सनीत कतिखकसाप खोदा जाएगा वातिखदा। कलनाकाधमान [दाखवा] एकं मियादा दाम (मंडल कादमा माया मलखादाडा तिसुयोः क्षीरायोः त *मा.दामा तिखरोला माया लाल खादायादाखाहाम् जलमायाला तखादाका घा६योः एवं एकत्र एगं मादामा ए एवं मिसेऊलालला दाळा तस्मलीत कवतिया अशवमागासारखा २१८ | यदा तघिवस इति d 300248
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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