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जवावाच
सादातू सागाचरातून स्पा पासा नसानसार नातून सपरसातू परिग्रहात् सनः किं विधानू जाना तिमहत्या सां] क्रिष्पमाना न विज्ञानाति ॥ २॥ विभा० ल्याय स्पा विद्यमानतया विश्रुध्यमाना तूच पिता नाति चारसादिमता
सूर
[सोविनंग
जावालमा
तिपन्त्रिद्यापि हिल
लाखों यलम्स सारखतिभागंग का सांसारखा जाय। मदस्मा तपास स्थान बनात नंग नाम जीव विज्ञातवास तिपाडसासेस परियाद ज्ञानरचन वितिपद्यात मंकिलिमा वडाली विमा ए विज्ञापतिसित अच्छा मिस पडिवसमा सदहशतघा करवा महायोगी एक यो मागपतिसिश्व रिप डिवालिंगपडिव शतस्तदिभिपावहिंप रायमा खय्यामवउदारव (सम्म दम गपज्ञावदिपरिवहमा) ए दि परिशमविशेोण अनाए सम्मपरि दिए ३२० परवत्र नि सागरात पहिवि विप्पा मदनपत्रका
तंग ज्ञानाननिवत्र
मान पउपयोग ६ लाख [दाजा । ते। तिलिस्मा पापञ्चालम्सा
तिम्प्रादाद्यातिविद इहचयापिवा पाखकाला पशातक तिखा त्रिप्रतिपत्ति यादो दासलात किं । ग्रहारिगज्ञान
विमानस्य सादा कागति । यानि पिवा दियना ॥ ॥ सुनाए दिन
म्यक्का ज्ञान
पत्रिः अस्ति इति नतु साजागी दाता। बाजागी दा जाएगा| साजागी रहा जाना आजादा जतिसाग हा प्रविधिः सवतिशति प सबालधी सागा हा किम जागी दाजा । वशिजागी हा ! काय जागी हा जागा मागादाका ३ श्रातू तथापिचा जवान शतिच्यागमा तिज्ञागीदाादा का काय जागी दाहा ॥ मतांत किसागरात्रादाद्या गावान्तवा सम्मकै प्रतिपत्रिका तू नाकार पाया विराधग्न चंप्रवर्धमान परिणाम जीव विषयवात् स्पागमस्यावस्थित परिणामाय दयावाना का राय या पिल्ला दिला नसेलएव विनंगज्ञानस्या सम्पका वि
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सवात् इति ||११||
विधिना वाऽष्टव्यः
सम्पक चारित्र जावे विज्ञान वातू विरुध