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________________ "वियार मि. काय विवानिम विहारचे मिवा. स्वाध्याय भूमि रानाधिरादाय संपदिपश्रसंपन्न अपणा येउ द्यामिव कालंकारा॥स पात किंवा रादप ||दिरादाराना विराद । मयसेप हि। संपत्ति घरामु हा सिया।।सतात किंच्चारा ह किंविदागारादर्याना दिशादयसंपहिया संपात संपात्रण विश्ता () ग्राला गाल पिया जादवप्रसंगात्रागनियांघण यंबदिया दियोरन्तू भिंदा विदास्त मिंया निरकांत नया किंवा पनि विपतमा नवति। देवतादशिताचः आला गाना गया। जानादिरादपानि ग्रांघण य या किडा डिस विपतस्त्रणं एवं नवति गिया | जावांना दिरादा। निग्रेघीपयगादावतिक लेपिंडवायंप दिया। चाप डिस विपती सनद ति | शहवता व अपयसा वाणस्तया । लागमिज्ञावंतावा कम्मैपडि वज्ञाभितपञ्चापवित्रण पत्र तिथं याला एस्ता भिजावेपडिव जिम्मा भिसाय मं० द्वियच संपत्त्राप वत्रणीय अमुदा सिया सालांत किंश्रा गदयां विरादया॥गा| यारा दया॥ना विरादया। सायंस पा | शहवताanatar नया कि मायन याला वगाला।
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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