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________________ जिवा इतानि समे कावि नियसम० जि: याजविमात्यादिसन गति। तदापरत्वायुषः प्रधूमसमयवस माय आहाराका टिम सय- प्रथम इश्क समइति समय वारी र स्पाप वातू चरम-चमाय तदा नाये प्रादशानां संहताना सरीरावयवहार ॥ नाहार नाजियरुग हेप उई शिवारे कर्वचजी वा नावित्रा पाना पती घी काल उदा ईष नाविक ॥ समन पर से बना ताकि सिममा हा हा शाहा रोजाइमा एक इवाजे : इस ज्यू लोहारा सम ४० नवतिः 'भगवतीस्त्र तिगामा पढाम समय सिय आहारण मिश्रण दास्यावितिय समए सियश्रा दाशा (सियाम दारात तिपसमा सियश्रादारण सियंत्रणा दारासमऐनियमांच्या दार। एवेदंडीवाय एगिं दियाय अन्न समसमातिएसमए जीवाणं लात के समय सवप्पा दाशानवागा 935 मसमाया वक्षम एवाच श्मिसमयलasana जीवसंहारपल तिला पियाचा जादादमा लिया कि मंगलाताला 'पंगा' पतिमभिपालपदडा शिक्षिक संस जाaj aay इंगा गएर संगित मिश सासर्थ सिलागं मिद्धि हा विभिन्नं सिजा कपरूपल से मिरंगा का रस द्वियं सिप्पन्नता|| पदसणार बरदा जिएकश्लीज एव।। उपतिग्ग विज्ञापतिपास विश्रद्धा व विज्ञाप तपासति ॥ तपद्यासिताकार समाजसम्म क्य समस्तां सात सामातिय कडा समाए वा समास्मत पला किंरियाध दिया कि वसेानजनि रिया कति संघराज्यां किरिया किचति । एगा। नोरियाव दिया कि रिया कजति संपरा तिया किरियाकामाकरण [ह डावसं परा श्या ।गा। समाण वा सग्रस्तां मामा तियक डस्नुस १३८ विक रद ma 3 311411 बन a हारा। चमसम ईउपज इउा ॥ श्रमाए पास ए० श्रमण साधुन उपाश हरि दिसा न विष को इकोनोप्रालोका ला हो रागादड कि में कि बस ताडिवादिरिदिन विहार ११ हलमा बसमा बमकर ई समाडिया बाज इस सम नाडिने ना केलोत्पत्तिइनिबार किसमे DOOD 콤비의
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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