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________________ स्वधानोव किया. कोबीनाम्राबधूतर वा याव बलास्टिकमात्रापत कलास्टिक बदरऊन काल बोरनाउला यादिका जन्ह को डी दिघाउन ही ||१२|| नाव कियोक तिवा देवाना शुकाल हिंगं मायम विनाश मातुम कल मायमाविमासमा निर " अयगंजे बुदीवेयमशिमुप्रमायम थि। इथामा यम विलिएकामा यम विशश्रतिवाहता वैदेमित पशंसकक्षामयेतातप वातायन योगा पातयन वियापरमातिरके तिज्ञावमिद्याप मा देखा।गा। पथमा तिरका मिजा या गंधा पाव मिसिहाला दिया। बीच किया कि सुदेवा । ताजा ववदेशिन पासाक गाथा दवाव सिसा । दिप पशिरकाव दाम दिडा ए| जावमह गहायतं वद्दाालशितंश्रवद्दालिता। जाव अचरानियापदितिसत खानाञ्च परियहिता नामतिस्त्र, क्षमचे कल्पचा क्याना एवं सर्वजीवा क्लासिक मात्रादिलाए एगंमदंस शिवगंध समु कनदशीयांश गामक कवल कुणं बुद्द वेदातिदि। रुपमा गाइगा। मग सावलकरण। जबुद्दी वृदावतिदिघागाझालदिशा देता । वति |4| डाकियाकशित सिघाण पाउन लागों काल हिमायम गिजाajaar जी हां जीत लगवायास । विज्ञातजीवजीव गाजविता व नियमाजीवडी व विनियमा जी ) जीवनात निरई तेरी वांगा निरतिपत्ता व नियमाजीवजी विचाण सियंते २५० सियश्च मे रई त्रोत्ररं । जिजीवन विनाशति नातिहजजीव । एमाहोमा हिनिननही॥१॥ सात॥ जीवा दिशन 44 वातच ना निशजवितन्पातजी नि
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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