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________________ सवास्प सहावा वनस्पतीन समानाकारावयदा 12 हनुया जिवा ३ महावाय• तिउ डेंड वाय॥ उन वाडा याचा जातथा तिराहमंदगड मित्र मिलान सपन aagaकालपत्रात्रा समण असा सर्वात शाप ( रायगिदिन गरजा वणवेवदासिनतई सिंडा खाता। पछावाता । मंदावाता। महावा याथार्थ विदंता अभिि गोलागिमाई सिवा या पद्यावाया। में दावायांमदावा या वायतितापि पश्चिमे पदा दिएअर एउतरपुर (मद ॥ दिण्डरभ्रिमणं दा दि मित्रप चमियालात पर शिम।। ईसि। धारवाया पछावाया। मंदावाया / मदावाया। मे.वायावयति। तया पञ्चभिमण शिसार वाया या पञ्चश्चिम सिंधारा यातया दिगमण विहिंता गया। शशिम तापमण चिई में नया पचमि सिंप्रिया पर मिल विई (संपवं दिमाख विदिसापिसात दावच्या ईसिहिंता अवि लात मामुद्दा ई सिं। दंता चंद्राला दावियाई सित्रयाएं सामुदयादिइ (सोइया ए| समुद्दया। इसितिया तदा विधया दिई सिलाइ हिममाहोमा कलातपथं चति । जया एदी विद्ययाई सिंग दीवच्या दीपसंबधी या सामु स्पाका१
SR No.650016
Book TitleBhagavati Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1539
Total Pages1168
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size575 MB
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