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________________ रकम की देश श्रीकडे तदत्रायें उसे दिही दिया जहा प्रथम किया माध्यसननी कथा गा लो जीवतव्यच्चा रोते दिल्शाचिदिवस के शितिक में देकरी योधनो नित्यदातः परिय हिया जाट चतिसंधमूयतिदियमं एतं व्यतंत्र एाई गादा । जब पत्रव दिया ऐ ३ तारामुयल किसलया ऐ २ नदियऽचिन दियो जला दो किसलय यज्ञाएं उसमा रख्नु एसकया रियलजि विदोद एक है साजनामा राजाराज्य करें मोलाइमा मानतेयुवा जाने । जसीम ति इसे ना मेंवदन बैतिक विजश्नो पितरा जातिद्ने पर लाई तेद्नो पुत्र गागिल इसे ना में एकदा श्री महावीर दिखा ग्राम सालमा मालवावा या देशना मुलीवरामी घरेादिना इजाइन बहराजयों मई दिव्या जसु छोटोमा कहै ने दिल दियाले तिहारे गागल नाणे जान दोला विराजदे गजर महाशाल दो तुनाइदिदा जी ॥ अंग-त एवं अतित्य स्वरै राजादितरेगा गिल यसो महि मुश्रावक एवैसमे श्री महावीर जाना तो जाली श्रीगोतमस्वामी ने आज्ञा दी नई दिवरगामिल यज्ञो मादक धर्मपाले तेनैनंद तिसर-नकरीवाल्याच्या मंदिराप्रमुखादा घ्या जगवंत नीद सनासाली का नित्यतावना करी हैराण भी दिया सीधी अन्य पुत्र राज नोजा दक्ष गोत्म स्वामी साथै विदारकी से ग्राम मैगजमा इज मिल्या गागल नैदारी से देनी बुसी थया श्रीगोतमने ददना की मी अनेमा गलत ली जाना जमाने केवल ग्यान नो माइगमै गौतमस्त्रां भी है। रेमे नरक्षित नगई जिमचा देवाय तिमां ज्योति करे हानी श्रीनग वंतराच्या मागौतमरा दवा लागो तिहरे शालमा रेसा प्रददेश के वजीनी सत्तामा दता देवी गौतम है मंदिहिवडा हितशिषां कदीने तूली गया। तिहारे "श्री वीरक है के वजीनी सात नाथइ तिहारे गोल मधुबै स्वामी मुकने के वजनही ते किंमतरे श्री वीर है प्रावदजाइतप सान्जली विहार की शिवारएन करिसहित बैतिदातासापुर्वेदातसातली वे सिह देवैतेच्या रलीज - चदै निदान्तरै सेसिडोतरता एसको दिन दिल सेवाजना में ते मांदि को मिलतास ५०० एकनै चोखत करें] रणकंदमूलन ब्लकरे। तिलाने प्रथममे बजावामार्जन वैराचसे कीत्र ६ लगानामाता वस व्रत करे तेही जीमेला दो म्यान सेवा लगलनमियान सैइकोर कामदार करै तेतीसरी मे बला मनै उदानी शक्ति नदी तिश्रीगोतमजी ने आदी समरेस संस्थान खाता नोकरी सूर्यची कलेज एक परिचतच दिस्मै इस स्ट रकरै । नि हो देवता [जंघा चारण सूर्यनी किरला जेवी विपक्षिोक माहिती दाशा स्वताचै सबै लिहा पृथ्वी सिला हु जी गौतम जीवैताः ए | वैधनद देवता । ददा यो गोत मम्मी वंदना कर स्वरुपदेवी शिवाश्वा लागो (लाइतमात्रा द्वार करें सरी दबाएको एसा रूपमुराद बै
SR No.650014
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages248
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size138 MB
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