SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नोम विस्वास जाणीचोरेदी यानी श्री बिहारकर बालगा केतला एक दिन राजाश्या मीच विदाएं मुनीदीगरोगन कारणव्यो हल्ला गामश्री दुर्दवातका दमोह श्रीजगा ॥ यत्तः। माता कविताकस्यैकस्पन्जा तास की दर पत्नीकस्य कस्येन राणाकर्मवंशी से अनित्यजानें राजा जी ताली मासक्षमण कर मोक्ष पुता निमबीजेविलनिक इतिहासमा 8 धूमैदाने राजात्रा फोन उप्रमंत्रक चोरनोऽष्टातक देश सुर्वे देवनी त्यतिक ही नाटनगर बिन देवराजा राज्य करे चन्चल इसामना मार्गनैषि १० मूलगुएना स्थानक १५०० मात्र विवरेर हिरा वरेण्याई सिंक माणो ॥ ते देवनागलिकासहित बचो गरे तिनगरमा दश वो नित्य चोरी करें। गेले कीच्या कासे मार्गाने विद्यातते पावदेऽधनद्र ६ मनुष्यनैध एते महमा देर है। लिहा एक सक्रोकरी मुक्यो बैता वेठीसी राय की तेजा तो लोग जिला सुचनेन लाई । तेषु दानमा कदा माहिना ५२ इमक चोर हाथी धनको लोक दिएरीव नित्ये करें। यो तेरा जाट २० की चोर ने कालवाना त्रने कज राम करें एकदा प्रस्तावै राजाका मनोवे करिस्में राजदेवोती हो र राजावलो जागो चोर कहा ऐसी तिवारे तेक दैवनाथ कोरक हें मुसा थे। आदिदेवक हैदानिक खदायिने घरेमा तातो घाटी विद्या उघाडीमा वैसी सामनगाव तालूम घरमा आमा मूल दे नाचार लाजणीपुत्रा दोश्रीरामोदनावाने देते कमरीदेंचर चालतांस्तस्तिका मुबलक्ष देवी पूर्ववत कमरेन सज्ञा करी जा पा इनगमे बंधन रामस्यो र एन सी तिवार तीदा थी राजा नावें मंक जोर लारें दो चोरी नै राजनियाँ राजदेवेति का मादा देवजीनो देवल विलिन आमरे जीयो -दोरेषुरु बजा ली के के एलो नी तरवारें प्रकी ने दी दे लै पारनी करनी चोर पाल्पा राजाच्या नाते राजधान मोकली मंदक चोर ने राष्यो नित्यमायें इम करीस ईव्य जी से इमू करता या टी गयो जायें खून गरमध्ये फेरी घुली विटंबना कर ॥ चोहट फेरी ग्रामवार जसूजीवा व्यमिदमधूणे ही यो दिश एस रक्षा नोकदारो दम भी नही राजा व्यनदसेनायो जीवरक्तकी इतिममक करके याने जं०] जे कि० को इस मादतें १० पात्रानी ला पुर्वज्ञानादिकनाला-तना २०१चीमामा मो श्री जान चा ९२३३० मान जिनशासन ने वि उसर जी० अन्तयानादिक कामान उरबों सिदार का मान ३९० वैदिवश भारदे इन से यम जीतनारीनजीकरजा लीन इ९० कर्मरूपम जना टाहार हिंदि संइदमन्तमाणो । नाचातरे जीदिय दल बारिणाय मेलांसी ७ चं. शेतान बाडू नि० करीमाई मो० मोक्षः ०जिम मिल्यो इसे पा बरनोहारवैरीने जीवनम घराast शिष्यावंत मोरका जिम अश्वरणजस्ता दात रातक है। जीमको इक राजाकालानलीब बंद निरोदेएनवे इमोरकाप्रासेज दासिरिकेसम्म धारी हाईवासाईचरमतो लम्हा मुली खियमुदेई मोरकं निलीमाच्या तमादित् ७० पुर्वल १२० सजग च०दिर 559 मतपण न०नेनली मु० मा स्वि० शीघ्र पु०याममो०मोदन
SR No.650014
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages248
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size138 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy