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________________ का करी का०ध्याय नोका २० वली ०पोरसीम०स हिन्दीजीवरमा ततीजी री 35 पति जेबीन काम कर मा दिब काल का लंसं पडिले ० पोरसी चब्बीनइ मूक मिश्रा कर पढमं शेरीसीस झाद दितिदयं झालं शिया सत् ततियार निद्द मोरकं (सझायंदरसी एनडीए क का०स्यायनो का स स्वायत तिवारी ए जगाती ० सं ०जीसीना से०कदिन इति नितीन काय करता का० स्वायनोका तस्मादिकन - रोषाक गुरुन नाका० काल की स0प्रतिब | जनु पहिले हिया सझायं ततो कुंडा बोदितोयस ९७ पोरिसीएच जाए॥ से सेव दिनु तो गुरुं । पडिक मिलुकाल स्स | काउंड पडलेह आम लोग ससर्व० एन २० मूका का ही लोग तो उसका कनोका | ०रासीमा २०० ना०ज्ञानद०६ कासगरबास ६ तिवारी कुकर हारने का उसगा बिश्न कुकर तोवर तिवार एि कासयंत तोकडा सङ्घ र बिमोरा 80 रातिदोतियार चिंतेचा पुत्र सो नाएं मि बिना दलदिइन इन विदारवती ए० रात्रीसीयांच्० ० लोई ज० जिमच्यति १०० की निलीन की उ०तुरुनई अतिहार छातिमन्त्र देकर 28 ९ / ४६ । गएका तोस ये सरदमोर २०] चरित्रानतात Qन५/०७) ८०० पारी न इका० का उस दिव (ग) सस्पायकरच० परसाई दस एमि। चरितं मितरं मिटया धारिसका सयो। वे दिसा गं ततो गुरुरातीच्तीयारं आलोक डिक मित्र निस्सलो २० दिवाला देश का नुकसा स०सर्व पुरखना के किस्त० ते २२० 4 डिजन ९०३ प्रकार इत०ले काम गर्ने ६०० काउसमा पारी ०दीदा दणदेइन त त० तिवारी गुरुन न० शिवा कर रहा ५० चिश्री महामो नइ भारत बंदिशाणतती गुरु। काठस्सं ततो जा स5रकदिमोर || ५० किं तं यडिज्ञामि। एतदिति ॥ काउस्सा रिता बंद ५१० परिनईका कान व बीना दादश्न इत० ति०२००१डीन कर मि० सिनुसं ० स्तन कम्मर सिह | ए०एस सि० [सं० संक्षेव नि०कही तिथ जे०जसमाचा बीगु गुरुन इत्यादि स्तवन कह जात ना करादिक रीच्यादरीन गुरु मावारी सगा 742 समुद्र ५१ शरियकानुस्सयो। वंदिता ततो गुरुं । तदेव (डिवडतो करिज सिंघल संघवे । ५२- एसासामामारी समासे दिया दिया जं २०णाजी०जी तितका म० संसारमा ०श्रीसधर्मीक जमिम श्रीनगरं महावीर देवमासानत्योतिर्मन दिइ घर करते स्वर ० श्रीसूत्रनोसमा चोरीना कध्ययन ब्रदी समो ममाता २६ सतादीसमोना हारते वार्य रिताब जीता तिला संसारसागरो शिवेमि/३ 5तिसामा सारीनामउत्तर दाती समेसम्म ॥ २६ ॥ थेरेगलहरे गयें।मुलीच्य वि०सर्वशास्त्र ० ० आना स०समाधि० संघात ईड ३० जिमगादिनमिवी मरूषमा करने से सो स्ट नैशदिव उलनविष शिरु सिदिमार (3) इन्ग शिनामि । समाहि एडिस १७ ददमास्सा संसार अइन) जो एदह माणस्म संसारो इक्त्तई २ अतिक्रम वैजे ० मा २३० बनेगा मानो बेकार विन - ड
SR No.650014
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages248
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size138 MB
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