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________________ शेतीसाली दीनश्वनकती कामेन पुत्रवानत्कुमारमादाराजी नोरतादो सपईलनवनोनू तर तार तारो ना मसानमोठे एसएन देष्यो| एहदो नचनसानीकुमर चो चढौ । एवै दिवैतो स्त्री सुरतला फासाय ते बी एकाढी मोरो खेद्यो / एतले कुमरी मुर्दा पाने कुमर नै उत्से गेमूती सि वारा छातीस देतकी श्री तिवारक है हो सत्तू मार मोटे पता हो दर्सायो तिहार कुमर दुवै तू सनत्कुमार नें कि मजा है। तिवार तक है। साकेत पुरन गरने दिलें श्री चंद्रा जातिनीमा जसति दनी पुत्री नंदामाद नाम बैतिएकदा सनत्कुमारनो पवित्रामनोदेषी राग तो मिनीयमजी/जेइएन दमाहरेन रता श्रीजानेन ८२ तेवा जाली बिताये बिबादमा कम रनैतमा सारून मोक्ल्यो शिदा कुरजा क्षेमही निवातसुली एलोवीरवि मत्ती र एकदा त्रावास मैत्री सीमासा थेरमती रीती मुकन विद्याश्रमी हालीदासनी पजाबी मुकनै मुकी नैते वैताढा पर्वते दिवादनी सामग्रीले मोठे नै मादरे तो सन मारतो करबै इएनवनविन अनमेते विद्या ४ जाली गजे फासी छाली। एवै तुम्हेंामा चित्रवहल लैच्या कारजा एपो तेस नकुमार ते मे मुनेत्रम दिनाजीवतव्य नोकरान्प्राक्षर नै । एह विज्ञात करता तेविद्यया । तिहने रोजावरीक है परस्त्रीनं या देवाह ६ कर विद्या वरदानी तीवारे कमरेएकमुष्टी नोजदारदी के तोजीद थीर दिन की विद्याधर नें विविद्यूत वेग विद्याधरनीदहन ते संध्यावली ईसनाच्या वना नोरानो करबातली मियादेतो तामृत्यूएम्मों 'नानी मृत्यू देबको एवंतयज्ञविक मरनोरु रदेबी मोहतथई रोजी दो सनत कुमार स पुरुषते माहूराजानैमा मुकनार की कली तो जितादानाईने मार सीतेन र तार दो सी सिबेमन लोगी बासी तेजीमामाथैनाश्रो मद नवा निवारो कुमरदानली अनैसंध्यावली श्री विवाद को गवतो स्वरै एदवै । हरचंदन वंदन (दोन नाइादिनमस्कार करीए सेना रही नेक है। चंद्रवेग अनैजानुवेग मात्रा पिताये तुम एसि मोकल्या बेडमा देवीकृतार्थथया (एकवचनमानों एदो दिवमान वेगविद्या र बुदनोदय र सेवा प्रारैवै । तिहार | मंध्य दलि स्त्रीक है। मुकदमें प्रज्ञप्ती विद्या या सि६ लेते थेन्पोजन मादरै वितानै जीप एड्से सारनी मोटी जोदो उत्त्तयति सिद्धां ने जे मत लो निबंध किए दो मोहनीकर्मनी र जवानी खास कुनै प्यारो यतः स्वारथस जगलो नाही बस्त्र कोई पितामात न्त्रा दरनदी युवतीच्या दर लेटा १ दार्ता । एट्रेन गरियो। कोठेकरी श्रम श्रम ते।। ए विद्या धरनें सनक्कू मारमो मा हियुधकर वाला गानार्थ में मोबी रुजुता लागे। बडगे बडगमुष्टी भूमा भूम दो व जागी विद्याधर नै सनत कुमारनी सेना जीत्योजा पीरो वै युवकर ना लागेल विद्या भरदा रैनदी एवागणारहारथी सारादीराजमोन चक्ररथी निदेबी हर्षमान थमो नमस्कार करी सनदेश विद्यासा हमेो मुक् तिवरे म स्तक ने इव्य का दिवाली श्रीमती दृष्टी ई एम रोथो वतायो । संध्यादजीदीरपुरुषार्थदेवी जादा लागी विद्या भ्रानो कर कले
SR No.650014
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages248
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size138 MB
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