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________________ 207 उत्तराध्यय करे मारता करे तिथी दिनी ही तेलाला गीति दोनों ने दालीदेवी राजाका नेकन पार्टी का एगुए को इनही करू में श्रीम कमी Qल को इनक राजा विदो लाल दो लैन ही तिचा रेराजा क है रा बीरी सालीत मंजीवनीनमादिषुकी करा नेकाजेचा करमुक्य राजा वितृ श्री न देखे तिचार वेद्ने दियो गेती में दिन मुर्दा कम्मो घिउ वा रेसवेतनकरी एलीनिीतजी शून्य हृदय कोर है एस से केते दिश्रीनी बबर यादी राजाने कहै स्त्रीधनमा दिहरी साली तेवा तमानली राजानुरतनमा आयो देवती स्त्री नोस्टी श्रवास तिवारै राजाक है। कारे मंत्री स्त्राम का दमा का राजकोषवंत कोनीदा सताया है बैतिदा रैस रवीगडो देवी राजामनमै दिवारे एन मुऊन मोनी श्री जगायो । जो एतिहासमै रुदिता जो राली मृतोमृतो मोदनी दिल्लू दुर्गतिजा तोएमा हरनाइ कि मित्र किंवा सहोदरचै यतः निवारयतीयाज सहितायां नितिगुएन्टीकरोति प्रातंचन जहातिकारिकाले मन्मिद लमिदं ददं त्रिसंत वार्ता) जिले मुफ ने डुब्बी गोदोमा दुर्वलो जनारीनै हेले कु लनी मर्यादजो | नेत्र वजस मैस दो । गु एते कुसी लेट एपाइम विचारीने पुत्रनै राज्य देश श्री अताचार्य से दी व्याली बी/नवरा मेल व स्पा करें चारित्र पालि एस एकरी ती जैदेव लोकें सागरो मर्ने आउट वना तिथी विरल पुरन गरने दिने मश्वाहन राजा राज्य करे (विहानदेव व्यवहारीयानो पुत्रविक्रमजसथयो प्रतुत्तमेते का न करी जिनधर्मा इना मारा जानो । तमादान्पार छडसम्पन्री तारेत पालिश्रावकता. २२ एसो त मासील गुणेनिर वह तो जिनधर्मप्रमन राजानै सबै एड्समेना। दशनाया दियोगेमच्या रतध्यान नै प्रध्यवसायच करता। सदर गरे विना कुलनै दिग्निस सेना मैथ यो प्रतिरुप दोजागी निष्पापतोता इसक भै दीपालील पदाला गोतितास विहार करतो रत्न पुरन गरे च्योत Qनाए श्री ने कलोक नादादाच्या जिनभूमी श्रार करा दे नही । तदा ताली मन मै रोसको ए करीना करें एक मासमण नेवार राजा जननैनोतरच तासाम ए करें।राजा किमान करे पालीवा अरु जो नियम नै वा थाना मुकीपार गोकरावे तो करून वजनदार दानसांतजी राजा मनमे का शेषसो हमें एद में यार एानेंडके का तेयो । जे शरलो करा तू नहीं तो एसपी को इनकरैसरावदे ननोगार/राज्य ताररंधर बैदवा52 जीवनैनमैनही तो ले नै कमाइए विचित्पाठ पनी । इतो इतस्तटी तेनते रस तो दह । इम विचरी जिनधर्मास नतडागौ। प्लाजन द से कल्वायनही तिरैजिनधर्मारा जाने चिंत्याच रदेषी के दो दे माहारा कार्यदे यते फरमाठौ राजा च्प्राय है देशन गरनो नारदे इक है न देता सदवी तुरुतस्यो तक है। जिनमनिनीवन परथाजमू की जीतू बारतो शर मरेंगे जोगे माहरोड करीस दिन नेत EO
SR No.650014
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages248
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size138 MB
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