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________________ सरसंचरवसा निष्करुनीनीवामिविwwwधकामवज्ञापयश्चिनसमुलगकालावीसश्त जीवापत्याकार श्यामागका मानना हासहा परवानीनीवाशिरवरीपर्वलयकीय अणिमाणिवी पदविक्रमालीवाधादश्याजनसहयापारस एकातरयो बीयासाग) सनाथ जना दलीसरहश्श्याळणावासका सहायतारियाऊसजायणसर बाणवीसे शायाम लोध्यणश्कहीतगत)। एकैकनारामानदिकत्रिणि समुश्चमहिमवंतपर्वतायतलालानिमू सीरन मनायनिरन मिनायनायबजिहानिशामिननधी पवनचकवलहमरनजवं 20 जातकापातामा जातिमांहिंजेह शश्वसुतहनशनकहीय॥ साडायणस्सग्रायमरी गगरीरनादानवकवहिस्सयसरयणपत वीरयण सेmaमणावा प्राधापतिरनतकोवाश पुरोहितमा वाधकीम मघर हमीरन असि क चक्रर बबर चर्मर मलिट। काकिणीसुधर्ममिया जंबूधापनविष अमिय नाशहा कदीयvas क्षककारी ३धारना नाम पहसान रन नाना नया विधीपरि अर्शणसान श्यणरायला ABI मरावंशीयर - गामा पहनसामगसंध्या विद्यालयकरि AMOUNT ६अश्याकाराचा यो गाहानश्यो नोहिय वह श्रासह प्रसिदधम्म मणि काँगशिरणे उंबुद्दीदी बतानाच व महानशा सूधपशिमलव्याससमशिययनमामि गंगा सिंक शशिनाम शक्तिमाम रिश्ता हरिकता सीana सासादवनिच नदीश्वसवलणसमुपयमसमु नदीनदादीपना हाम्दी नदी नदी॥६॥ 0 00 नीति पञ्चश्वरकहना शाहचक्किा वघदसमहानई-न' हालसमुहसमुपैति तं गंगा सिरोहिया राहिणं साहरिकता साया जाना सीतादा नश्कता माशिकंतान सुवर्णलान पासा रकान रक्तवती राणीयनपसा देसलाएकनारकी योधमानरकधि नदी नदीपा ॥ नदीच्या विधानविषा नरध्यल्पोपममा धानविषाक्षस मनका॥ सीनहा नरकंता मारिकता मुवनकला सय्यकला राई मारसग रयासपल्लि पंचमारगोश
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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