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________________ नितीगततातच्या पुरत शामका जितरागराग सिनश्रम काणबइकटयूगईब परुष्टविग मनाप साभायगरनामोसम0 हित देवरहित मेनबोन्जनामको सूपिणारजनेनी लवेकपबई जे पाइएन वनिबाणाचवागाउद सामिका उंच अशा शिसवदत्राणस्यमायनसंधवोकसितपदीसंख्या वारिणशसिहि जेबही एनइविषऽ कावतायत साऊलगर दोस्प३। नेकर (मवाहन सुम श्रवक्त गयरतच सापाया रिसेणंगटीसिदि बुद्दाखरसारह आमिरसाशनलगराजविराति त मिन्नवाहणसमय मनियम स्वयप सूदन सुबंध बताईचटीसीईए तबदीपक श्रावती उत्सर्पि सऊलकर दोस्पशा न मोम ६. ऊलगरहोस ६॥ या पाय यापति दहजम संबंध्यामिस्सगदोरकति उबुद्दविणे शामिस्साए उसमिएकाएदसऊलकरामविस्मति कतिकदव सामंक सीमधर दमकर मधर दृढधा दश शत प्रतिश्र समुचि दामन विमल नारनर २२३ निय विना तविमलवाही सीमकारे सामधेरे वप्तकर खेमंधेरे ३६४ादसधासाधयुपातिमुई संमुनि बुद्दविणार नरतकिवनइ शान्तीयश्वसHि ३३वासलाईकरदे का मानना मूदेव सुपात स्वयंपत्त सन्धि सारदेवास भागमार उमस उवासंतिकरालविसतिपदामासदेवरस्पसियाक्सटोलिपसनाएं रमण
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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