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________________ पत्र संभल वि 'बु गापाली मन पोट का छा 10) शिवगाएं प्राजविद्या शिंदरिद्रिद मूर्ति 1st य॥ य ॥ य\\ डिया संचि क दीक लान निसंतान तो कह का गर्ल को मनुष्पन प्रकार संस्थानक द्या ॥\ दाऊ काय वाचस्प याकारका कला वाकातिया सेवालय नि गर्लफ कांति संस्वानसं च) स्विति संमूर्तिम मनुष्य । नदान | कवेक्ष्गकऊ व अनेक सं.. खापर Ca विदितेदिचरचिचदिति रकम वा तदतिया वाया सचिन मा जिपासुर कमार ममच रस खान में स्खितक ह्यातमवाणमंतर देवना। ज्योतिषीविण नई वैमानिकदेवतातिम होजक देवा ॥ संचित कही। ॐमस स्वानऊ से (स्तकया॥\ वलीगामश्वन केवलसद बद काउ ( संदिया" गवइतियाब हिदा संचाला जाए कुमार दादा मत जोइसिन्यविमाया कवि दलिय विविदेशिकतांत्रिकप्रकारे स्त्रीदेदश रुदेशक gas के स्त्री नगदंत कह रहे स्वरूप वैदक कब || नारकोमारुषवेदे किंवान गोतमनारकी न कहे गौतम! वेदवरुष दान्॥ सकवेदाकये AR. देशज चिवेद अरिस वेदे न समवेदनेरइया कशा ६ गोनो नो असुरके मारनई कि स्परुष व स्त्री किंवा पुंसक वेदनास गर्दनमात्र वनपुंसक वेदना स्तमितकमा आपले यि तौर रिमूमि प वाकवस्पतीय ६ डिय दिया दियतियैव परिजिहील ना विदास गावदर किंग इमान जयति पवित्रा दावा बेतिचिलिम रथ ॥
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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