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सात सागरोपमा दोधीनरक टघिवीन नारकीननु जघन्य ags
का३॥
सातसागरचा उप
असुरकुमारनं लवनप तीन॥ केवलाइकन मध्यका उसात ल्याए माउ३॥
माहेदोघदे
लोक
सत्रमा मशेक्षमा दीप उटणं मन्नसागरोवमा सुरकमारा गया सत्र मोधर्मन देवलोकन विषइ ॥ देवतान] सापल्या श्रीजनानत कुमार देवलोक अवरुथ्॥ केसलाइकन ॥ माष॥ देवता ॥ घा देना सतपलि सक मानिकपेदेवा देताना सातसाग बह्मपांचदेवलोक के तलाक देवतामा साना जहदेवता समक्ष समर समय |रोप मानुषा] ऋष्टका ॥ शाषकः ॥ कुमारदेवलेोके ॥ जत्रेल४॥
विः सोहम्मी सासु कम्पेस
को से सत सागरोदमा माि महाप्रसा
केस देकसारे गाईस
सासु विमल६ कंचनकूट રૂપ
सप्तसागरोपमा ऋषत्र ॥
इंसतोय कपेत्र के गया देवाणं सहसदेवा' समसमय्यसे महासं यसासे सा मारावतंसक पत्रा विषदनापण 53 एना है॥ तेहजदेवतान ॥ सातसागर तेहजदेवतान खाऊ साते पखवा ।
व दिमाननई ॥
सुरे दिन कंकडं सांजश्व डिंस गंवि माशदेवता पवन ने सिदेवाणं उसन्नसा, तेदेवा सतरं च चाहार ॥ इच्छा उपजे || देयकेक सव्यक जीवा
स्वासोश्वासलेई तेह देवताने मात वर्षसहस्र ॥
हमासा द्राणमंतिदाधते मिदेदशी सह हिंदा सहसे हिं प्राहा रहे समुप्पाई संरोगयान व सिद्दिव्यशक