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सायग
जिदिनांकश्मांध्यार पूर्वीलिका
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नेविक हो । नोपधा
कांना भूमिका रहि दृष्टिवादपूर्व परिक्षागरातीई संख्याता ना॥ घावनाas
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पचम
दिलाएं चूलिया से साइंसिया तंबूलियतो दि६ वायरस परिता वाय् णा संखे अनुयोगद्वार लगि संख्या निर्बुक्तिसूत्रविषमन पोजव एक तस्कंधा नेनोद संख्याती क्रमादिका जिहा ती ॥ गापागाई ॥ बारमन् ॥ २१५वरक्त
गदा राजा संवेद्यातो मिडनीसेंहातेदारसमेत रकं दोहस हाई संखेसंख्यातां ॥ नाहावस्त३४ चोवीस पानकधिकारवि पानृतातेही संख्या प्राकृतिका संख्याती प्राकृतिका रख्याता ॥ शेषासंख्याता। पणिअधिकारविशेषाती
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द्यावर घालव संखेच्या पाऊडासं द्या पामयामा संवेद्या तो पाऊ मितातो संवेद्यातोपा प्राकृतिको संख्याता पदनांना मला पदयेांत्रिपदन संख्याता अनंता अनंतापर्यायः । परिताप्रता परिमाणविश्व लिपाई ॥ करवर्णः । नापरि वेद ॥ करपदाना नहीगत लाइस रवीदियादिक ॥। या ऊडियातो संवेद्यापि सनसहरुमा पद येणं संखे वाचकराता मात्र ताप वा परिता तसा अनंतास्वादर पूर्वमा हिसाव ा पदार्धशास्त्राध्यापण विवेदरहितबे प्रज्ञाप्पा कहीया नामसे || उपमानकरी देवा वनस्पति वलापसमन्धिकमा जलाया जानीयामयइ\\ मीई स्वादघाव निबासूत्रकीया नदाहरणइक रिपतियाले जिए॥ सावाप सामा ताघावरांसासत्ताक मादधानि कातिया डिपणना' लावायाद्यविद्यति यन्त्र विद्यपि विद्यति दें।
दार्घः ।
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