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________________ xसनाइX* तकृत संसारउनकी मुनिवरत्नमा जहां पूर्वसेदमादि उपदेश श्रारमय तक पाप क रणवीयापीय। होइ नामरूपरपावर सिद्धि पाकमा पति कमूकाणा ताम्पा इंदरुतमोतमश्वोयविग्यमुक्रा निमितरंच होते सहमूलषध मानुयोग किस्पतेमिका महिला योग: ही कदम ताधिकार न मंदिकानुयोग अनेक ॥ प्रकाशन सेतिका ॥ कब अलकश्ते वितेमिका की मूल वाहनादि यतेन कतनी गरि योगा कापूर्वीकहिवानी विधि बाप इति मासे किंडिया योगे अगदि कशा या बलदेवा बलादि हरिवंशवंत्रा नकल्याणछ बेहमईजेवाय गली कहनासंबंधानोत्पत्ति तेना गोजिमा कम की प संबंध॥ ॥ [म्पा॥ गंधिका ॥ श्वद्यालय माविका पदार्थमानुयोगकहिया। वित्त समिति व मादीसाला घट मा सुतो ग कहिया श्राघविद्यपि पत्र पति तं मूल दिकसं जिहां कहीयते हऊलकरगंडिका मज सर्वत्र करदे व जिहाल गिवि बधः । तमिका चादेश। सीधे करना बेधः गलधरना संबंध संबधः । द्वारसमुद्र विजयादिकादशा ही हमापदेधः। - जिमयादी धरना डिसाईकिडिलात गांडितात' 'नक्कवहिडिमारग बलदेव सिह तदो काम वासुदेव सालीतेसमन अवसर्पिनिका देवताना तारमनुष्पतिर्यचनार की यह चिनी जहासापा६ ॥ गण गतितिहगमन जाइव ॥ समयतेना या संख्याता काचि माता तथा कार्यर संबधिसि६ तथा दिनान नानास जिवनोनीत ६ ताते सर्व विविश्कारमा तो परिवर्तनासा रमा हिफिरद साव सपिगं समपिपिडिधाई समाण नरतिश्चिणिरथंग निगम विविदपरि एवमादिका डिकाअधिकार जिसे नई विषइक तेहगंडिका योग का दरोऽनली विस्पिवृलिकानुयोग!)) ही पापीय जगावी || पूर्व॥४॥ योग व्याख्या a | यह पाइपमा तियायोगं डिसाली ग्रामवियेतिएस दिर्ति मंडियागो से किंतं वूलिया पुनर X5187
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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