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________________ (एम) सूतेनात्र वासीय समन सऊद कद्या ॥ नकद535 रुजु गरा ताई हासातील तिति मस्काति तंत्र छाया भिन्न यधात्यागरण सोवस्ति घंट११ नंदावर्त छ! करण ॥ १२ कूट तिनं श्रादाय सोवति घंटे दर परिणिता परिणत‍ संगिकं ॥ सर्वतोस प्रज्ञामंत द्विषन्ति इत्यादि प्रणा १ प्रदीपश का विषन्याय कांधा अनंत परंपर५ समान सा ΣΗ वरियार रिशायरी नियं विपवियं बऊल टाष्टष्टं वियादर्स एवं विकाव 22 २४ 24 १६|| १‍ नंतर परंपरे समा वर्तमानोत्य तर्क ॥ १८ सम निरु दाने बविया एवं यात्राप्य्ये सम बावीस सूत्रा द्यावेद करीना जिदाने बिनबेदनसिकसि एही जगादिनां सुनीप मधुमालत्पादिक सूनाको प्रत्यक बावीस रिपाटी देवकरी निवेद्याबी जालो की कान वेद्यादकेनय मपानीथई|| समय जि= २२ लिरूढं महतो न संमितात बाबी सुनाईन्टियाइयोलिस समय परिवामी इ निक्षाने निवेदन कि मम्मे मंगल मुक्त्यिा जीविक गोसालानां यानि सूत्र त्रिणिनयसमेत जीवनवा दिक श्लोक बाजा श्लोक भी करवा नीपरिपाटीपा मयई । नोज (दण्हवी त्रिलिनयतितित्रिकनकि त्रिरासीय चिताईबाबा संसुताइचि यमतिया जीवन परिक्षामाएं इच्छेयाई बावीसुनाईति त पार्थ मीना सुननी परिपाटीय पामीय कंगमुषा बावीस सूचयिका संग्रहाददायकंवा ४१ हत्याराथ समते हस्व समयजिन मतासूत्रीपरि पाटीईपामीय॥ प्रशा कनया लि तेरा मिय सुन्न परिवामी ए इ इकाई (बादास सुनाईन समय परिवामी एएदा
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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