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जिम सागरोपमादिक जे एका २६ बा४६॥
सुकदेवलोककी नमकी कालाच्या यानजाय ॥ चीन।।
श्राव्यादिना ॥
लिपिपतिजन्म ॥
गरमगंज दयणिबंधति गंगा जल मंतिसुरविमासारकाणिमाणित जे कालंतर शहाजमनुष्पलोक माहि २ वरूप पदि रोपनी क्यायामेव मित्रजन स्वजनपि धनते जातिजन्मनि जाल रोग शेषापव्या सुर अन्याति कहाई कः ॥ (३॥ सन्यः नेत्र याएं इहेगार लोगमा गया एंग आउनजाति इमाम बुद्दिमे हावि से सामिाणसाध आदितत्र शक्तिव संपदा भरणी। समृद्धितेपुरांतकार दिपक पाल निरंतर परंपराइघालवलगइबांध्या॥ इलाम रूपा समृद्धिः संपदा सारा सुतेन प्रकारकाम सोगते हघीय मां सुपू मुदयसमूहहना।। नाविशेषते सुरख विपाकेच तमनवि
विलद समिघिसारसमुदयदि साबुन विकाशदारा सोरका मुहविदा गुप्तमे वश्यपरंपरा दिपाककतन जिवर संवेगकारण नाश्र संवेगनहिनानावा
श्राश्रमी ॥
मशालाप्पा कहा!!!
कमना पहिला घाइपका विपाकनेक बीज तस्कंधक २६|| फलोदयः। इविषा ग्यारमइ श्री गइ ॥ समवेत ॥ बाप्रसाशनाचे माणसा सियादविहादिवागविभागसुमिपदता डिवरेशा संदेगकार अनेराप एवमादिक53 पाइप विस्तार नीरूपा श्रायायते । विपाक
परिनामानीई वाचनास नानं देवच ॥
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काश्५॥
कहीयद्र!
सना
ब्रामे विय्ण्वमा दिन दहावा यात्राद्यविद्यति विवानुयमपरिता दायणा।
यात्रा सुरगणान मिलो देवताना समूहमानां विषशा वशा
सुखप्रतिज्ञा
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