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शिव मांदिया रद विपाक मृगापुत्रादिकारण
दासुखनिपाका रादिक ॥१०॥
विवत एंदविल' ददमुह विवागालि सेकितद्विरागादिविवारी विदागा आख्यायतेक तहखदि
चिन्पा उद्यान वर्षा राजा मानीत्रा समोसर धर्माचार्य
एप धर्मका
नगरमा संसारमुपबं रखना, गौमनिका ४विस्तार राश्रेणि॥ नगरमादिदेश ॥
दीयइ !
पाक सीई
./२.२ राइदेति उद्या राया श्रममा सोधमाधम 'नगा मलाई से सात्य बंधे ऽदपरंपरा याद्यविद्यति सेतंड सुखविपाकन सुश्वविद्याकी यांनांना पराजा यानि इहलोक परलोक सेव इविष कुमारादिननगर मातापिता सिमामा काविशेषलगत्या धर्मक घा दास
किस्पतेरव विपाक
हविवागाणि से किंतंखुद विदागालि सहविभागसुखद विवामाएं एगराई जादधमा कहाइड लोग सो गए ह सोपा संलेषणातच पादपोपगमन्चन पुनवलीबोधिजिनधर्मनी घाप्ति
प्राणातिपात दिसान १२६३॥१९७
ज्ञानदेवलोक कप जवजाति होध की चवीस ॐ लक्ष
डरक विपाकने विष
तकियाक हीजन ॥
नामायग
किस्पतेरविपाका कम विपश
दुश्खविया की यानां पापी जीव गापुत्रादिकमां
नगर
यतो मिसले रात्र उदेद लोग सुकुल पुण्बोदित किरिया ग्राद्यविद्यति प्रदविदागे पापा निवा ज्यूलीकवचन जूब दौरान करि परस्त्रीमैन साधुसंगता महाती कषाय इंदि बोलत३॥ सपरिग्रहपाकरी प्रमाद
तापापप्रयोग पाप व्यापार ध्यवसायते एकरी संध्यामेल्या ॥
की पशुला
यलिय वा चोरिक परदा फुस मंगता एमद विज्ञक साथ दिया माय पाययन्त्र शवसा से
४. कर०४९