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________________ मोहपाम्या एमन श्रीमहावीरस्वा की सविजयनाश्रतवत माहित सघलाइ दीर्घ साठपर्वतक सघलाइ समस्त कमीगृहाश्रम५०३ स्याना राम्रा काम बतान२५ डीप मांदि की लीला वर्षमा बिमती की योजना गोक पपसून नव पाली सि६॥ बूदीपमोहि, छया।। धसाग सनाय तासिकापही पवंशेने दिसु में सदियोंदी हदे मागमा पन्ना सवि रवा ल्याबुल्ललघुवितवर्षपर्वत । वर्षक हप्ता देते नी मर्यादा ना करणारयांच नइ पांच विषपता के सम्र योजना एक कंस ॥ धामिमादिवं पण क ह्या जलवा।। गोल हिमवंत सिहरिया महश्यचयाए गये गंजोयल सांग मे गंगाजय सपना सकिने कोकेका देवरुप का एक श्योजींचा एकेक गाउ३४ भूमि महिमा एके ४२ (पासना केवनगिरि पासको चुनाव सूर्वमजीक सर्ववि संयोजन मूलविला कह्यात समसमवाय ॥ तब सर्व मिलाएक सय ।। करुमिला संकोचन गरि विटसघाएं त्रिपीय || धनुषा चंद्रमा मात्र सिन बाकी कराई माह तिघलाई दिणं कं नागपचया एगमे गंजोय सतह बनेगा एगमे गंगाउ यस गमे गंजोयस तं मूले ॥ जयाजी इम्पारमाचरण। देवलोकन विषश्न स॥ एवा || शिवा लिपीय ॥ सातमा सुपा समरिहंत विसपचा उतरकरुमा हिनीलता एजमे गं J दिरकने पादप्रहादिवस ऊना आरकप्पे दिवहंदिमागावास एकना विमाना बारम त क याण बासक २८सन विमान विक्रमि लोविलिस विमान द्या सतंपन्न वंदि ६" सुपासे रहा दोध सतावते या सद्देविण महा हिमदंत रु सघला महाहिमवन पांचपर्वत ।। 5 रूपी वर्ष घरपोच ६
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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