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________________ पानशेत किमापरिलो मी मला ही दी जो धियोजनेंत्र ५६४यानमा लानुं विलय का जम कसीमा समापन नमाहिपनयाजनादिनिमिनीपानीमा माननीय हसवीयाद्यालायें जीपचा जनसागर से वन्येन मम मोहखाना खाक मा हिमाली यति घोलाइ तिवारइनवासह बस एका वनयोजमा एकसठी या नवसागर जनपचनामधारीय व्याजनसामान इतिवार सदस्सा इंसा हिताईयायाम विश्वंरल' में 'नईएस रिटयमंड वैगा व एएन विंडो या सहस्सा इंसाहियात्रा बालपण विकत सालमहालात सालको वीजमा गुणी रनपसाद्विवीविकाममा दिपहिलड़का घी नासर संयोजन सिहां की मां पनि लामा यो जनमाहिवान मंतर नां सोमेयमि बंविविहारको मानगर नजीरकपरती कामवल्पञ्चरमात समतल दिवस पनि अमोलना सदसः स एका भयो मृगस विद्यान व साग।। पूर्व/लेखात भिरमा मलीनामो मलानी परि योजन सागमा ।। लपणा ਮੈਂ ਤ यामविरकं तेां में इमी सेप्पलादी एम कंम स्म हे हिल्ला तो वा एमंत रसोमे द्यविहाराय उपल्प घरमा नवास योजन अबाधा आत दसयोजन पहिला वादी दामा लगिएके की सिका दातिलेश्य नई बीजइद तरक्ष॥ ईविना माहिती या नादिरशक विवितिकामदा की शिकाव लेई का सीनतिवार साजन गरे। थतिप्रति मात्र समिका करी दई ।। | सिवानुलिपी येई॥ नवमिंग सनद इंजोय एसाइं बाहायचंतरे में' ' दसदस मियागं शिरकु एडिमा यगेां राई दिय मात शिधान एक सम तारा कहा। विशदनामिका शिक्षा प्रतिमाकारात्रि (विवेश सून २०० तलव होन ससाठी पांच सह शिक्षाक यात्री सूत्रोक्तका र आराधी यमामार्य) अक्ष॥ નામપુ विधिना ६बहे दिशिरकासपदि प्रहासुतं जावयारा हिया या विलयति ससियागरक ते सर कतारे मंदि घ बी कुंडष्फ देत जेनी तेहा अरिहंते ॥ नाम एक सम्रधनुषधाच इमा पार्श्वनाधारिता रुपादानीयम हासो लाग॥ श्री सवर्षा मई मारपण राषिथती पण एकसन वर्ष संघ व पालीन सिमा श्रीफ देतेगंज रायगंध सदन पारेर हारिमादागी एयगंदा ससस हाउये पालन
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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