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________________ समाय (नाम तोत्रा की जक्षकर्मनाक जयाकोनाम कर्म ॥४०॥ कामकर्मानन्द समुद्रन बालीससहस्र मग निर्माना पूजायामविष॥ करनामक मी ॥ मकर्म ॥४१॥ शितिनामे अडस्सा कितिनामे निम्मा गनामे विश्वंगरनारम लक्षण समुद्दे ना यालीस नामसाह नागदेवता स्पेनरमा हिदीजंबूद्वीपस दिमापदि मक्ताई त्रीजवग्रई बेतालीसा उद्देशानकालश्रध्ययन गीनी पाणीभी वैलि४२३३ ॥ विशेषकद्या । मोटीयई। बिर सीताप्रति रियलंधरेंति' महालिया विमा गएपविज्ञत्रीपतिइयवये बायाली सउहे सण का केकी वसई पांचमा समातेमा पति का लई माम विऊं मिली। नतालीस वर्षमा कालका पाँचम एकेकी श्वसन || रामबि यई। मिली तालीवर्षसहस्त्र]]] ८ ।। ला पंपगमेगगा एसप्पिणी पंचम वही तो समातो बाबाली संवास सहस्सा का लेप छत्त्रात एम सर्पिणी॥ पहिल समता कहती बेतालीस सहस्रप्रमाणकालका छाएतले पहिल35 षम म प्रमा४२३६॥ वर्षासह समाज यम ते ही पश्शि वर्गस हसन विक मला वर्षसहस्त्रयां ॥ ४२ममा समवायसः ॥ श्रीः ॥ नदीज४॥ मेगा यह नुस्सप्पिणी पडमदितिया समान बायाली संवास सदस्सा कालेपत्तातो २३ ब पद्माकरती। [२४] [संजय समवाय त्रिलीसक नाटयन पहिली २००२ कावासा दोघी सापांच मपि पापरूपतेनाविपाकफलमा मात्रलाई कानविष छत्रसाली साजानश्कावा साका कहा।।। दक कधक अध्ययन ते कर्मा दिपा कायनात नको ॥ सांगावयाके तयाली संकम्म विद्यागशया में पचमासु तीसुदवीसुते वाली संणिश्या दा ससतस ՄԱ
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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