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________________ सभायं चना वहाश्मालाई खुनी समसमवाय संपूर्ण बाया मानगुलानामा चरित्रात्रीस गण४२ऊथ सावत्रय कन हिमनदेव तप वियुगल देवनी जावा सर्वत्री सश्या अन॥ यखनातिवाप रूमी की सांगली य हाय इत्रविध कंडुरस रहन सक्ती संग ऐसिवतीसंग गहराता देमवय हे राव या सहस्रसवितरि यो जन ३०६४यो मन ॥ एकना परियोजनाका गुणीससागहायाया ॥ एकयोजनना!! १६ ना० ऊदातो सक्ती संर को ए सहस्सा छवोस तेरे कोयल सर्वे सोलस या एक यादी सताए जोय कांईक ॥ विशेषणा लांब पाई कही ॥ सघलाई दिनपूर्व विजय र दक्षिणई वैजयंतशमित पराजित ४ ॥ जंबूदीपनापूर्वादिक दिवशिच्यारफेलिनाणी विजया दिक देवाने हनी राजधानी एस्म किं विवि से सूणा तो यायाम येणं पं सच्चा सुखतरे जयंत जयंत पराजितासु राय हा णी ।। मद्रविष॥ सर्वत्रीस योजनांचा उंच का ऋषिकाय॥ लमा विमानप्रविविशेषयहि मानवीसप नक्की कालिकत || लवर्थ ।। गधाकाशा सुपागारा सतती संप्रकोयणानि छते पंखुडिया विमागम्य दिसतीयपढमेव्ये सन्तती सं अध्ययनदीवा यासोनि मस्त मानिांबाया मवीयत्र लई पौरुषगुसन ने सात दिने एकेक अंगुल बायाव नानाकालस कार्तिक कुल सातमा दिन सूर्य पौरुषी वागणपति करीनेवार सरायइतिवार प्रविंचर ॥ सा समनुसमदाय संपूर्ण ध्यान ॥३७॥ २कदा ॥॥ सहसा काला पं" कत्रियबल सतमएस रिसत ती संगुलिये पोरिसिवाय निघतत्राणं ५२
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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