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________________ संगती या संदाती राजानअध्यय मारना समितिकरध जयघोष वि यघोष २५॥ समिति॥ मृगामध्य माघीन अध्य. नारा अध्ययन प्रमादस्वानक एकवीस अध्ययनाश म भ सामाचारी अध्य यन॥२६॥ समुद्रपालीनञ्च ध्ययन॥२॥ मणिं संप्रामि यदारिता र प्रणादपइयाइ समुहमालि रहने मिछंशगोतम के सि‍ वसुं की ये ग गचार्य मोक्षमार्गन २८ ॥ मानवोमार्यम चरणवि यन॥३०॥ शशा घनेमीश् रथनेमिन गोसी गौतम केसी न ||२३|| समिईन र इसा मायारी २६ कलुं कि मा रकमती मातोश्त वामयो३२ए कपिल विश्र लक्षपाध्ययन।। ध्ययनशा चोवीस मा३४ अनगार मार्यश्रध्य यमन • जीवाजीव विसक्ति श्रध्य यात्री माह कद्या चमरेंद नी।। विही३१पमाया गा३श्कम्म पगडिश्लेसय ३४ गारम/३जी राजीव दिसतीय २६ म ala पण कही श्रमणनी भगवंतनी। सुनी। श्रसुराजानी । सासुधर्मा श्रीसयोजन रस्सम रिंद स्मासुरश्न सताए सुधम्मा बत्तीसंकोयलाई अत्रे पं समस्सल गवतो म श्यामा बत्राचार्याना सहस्रया । एतत्रसदस चैत्रम मास|सतित्तिसववशनिम चारनी। साधनसंपदा || दिन बालसूर्य श्रासोजा पोरुषाचायामिवर्मा एमले विवासेो इस मासु तिपथा पारुसीति नावित्री महावीर स्त्री संघया साहसी तोडा घिता सोयसु मासे सुसति बत्ती संगुलियंसूरिय पोश
SR No.650013
Book TitleSamavayanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorHirsundar Muni
PublisherJaiselmer
Publication Year1699
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size130 MB
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