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________________ ए ATHED तिमृगापुत्रविषयनविषयमन विराचा मातापिता प्रतिश्रावी इसिधंबोल देतात मइया बिलडनवि विसरता जाता संख्या में मिया सम्मायियरंजना गम्मा इमंद मधवी ॥ श्या । सुयामियं पांचमहातसांतल्या श्रननरकतिर्यगतिखवतेसांतल्या अन मोटा कामविष मध्यानिरखड स्कंचतिरिरकाजास | निचिन्न कारमा भिमदन वा अणुपच सामिग्राममा निवृत्रिस्वेदयामि मातापिता अनुज्ञा दिन दी कालेसुं दिमानात मलोग सो गया तो विषफलं सरीषाबक विपाक इंनिरंतर5खदायक बाई लोग १२ एवारी स्वानित्यऽविश्यवि ममतायमय लागा दत्ताविस फलावापांक (मुयविवागा अणुबंध दावा शाइसरी रिं दीपवं श्रम एवारीरशास्वत । | वासरकले श्वसन विषरतिसमाधि, B रककमाए लाया सा समरीरं भरो मारमानुष्पावतार व्याधिमान सीपीडा। रोगइ रादिकमां गटांम करा मरा सुवासास यांचा संमिगड नाम एशरीरयहिलाई। वली एफीएम नाप्यो । टातेसरी ब वलला महापापुराच्या हा एकरा बघुयसनित |१४| माणुसतं सारं मिवादीरा गाल जरामर करीय महेवई एमनुष्य निमदार दिन १५ देतातडे इंससा रिजन्मजरानो रोगना मरणनाऽख पहवा ऽखमई मेसार बजाए । इष्टाघारसं मारइंजी धमिव निरमा मदं ।। २५। अम्मरखंड रांडरकं । ररागाय मश्या गिरा हा रस्का संसाराजा मई १६ देतातs वेत्र वस्त्र हरप छत्र स्त्री बांधवदेहत्पादिकत बाडी नई मिममःश्रवस्य निश्वई जाई. हेनानदिम किया की संतिष्णा ||१६||वत्र दारं बंधवा चत्रामादहं तमससरमा | १शाजहा शांचा --1] 21
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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