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________________ दारना ला बदकारण स्क्लुनिश्चरंनियंघमाधुशारीरचुटंगार विस्तयाकरण नियंघसाधु बारस्परमम्पनिंदियय एयांचऽपियनाविषमतोगवशिष्य हतिव्यान यातटारबखानानिशचित्रमाणुवादीमियामानासहस्वरसांधकामाणुवादेवशासनियतकहमितिया। हवीजा गट प्राचार्य कदई निग्रंथसाधुरवल्लुनिश्चाई शाहम्यरमगंधस्पीनादिक सावन ब्रह्मचारीतणुवाचर्यनई संका कोच्या विचिकि साऊया . नायरियादतियधस्मरवल्लुसहस्वरसगंधकामागुवाईसाबंसयारिमानाचारासंकाचाकरवादाविनिगिछावा का कारणयनु । समुयाधियाँधम्मावायोनिशिादीमकालियोराशायीक विद्यारिकमालियामाधामावतंसिकानमारबत वा नियनियमाधुशवायरमनस्यनिदिकइंडियादिकतणविषयतेह लोगवनादानजयतनिदसविधिबटनाच्या मनाला ने यता मानियां सहस्वरसगंधकासाणुवाईहविछोदसम्मे वंताचरसमाविहारणहवाश्याहवंतिप्रवासि खनिज वालीसाधुनिदिजनउपाययरदार मचिन्नयन स्वीजतरदिनजतिहा वृह्मचर्यराघवाननधि एहवनयानयरद पवलीमा स्थानीक ३ सात लागोजहाविधिनमालारहियंऽविभागणयाचे सावरस्मररका श्रालयंनिमशाशमणवाय गाये। जावतेन स्पातलीकामरागन दृष्टिकर।पहचास्त्रीकधाब्रह्मचारीसाधुचडिं। २ वल्लामा स्त्रीनासंसाधपरिचयसदाबीमाई नेमाधुवन Iकामरागविवह साधनतिरोधीकदंडवियाशासमंयमघातिसंकहचतिरकरणाशE चर्यनविषयासमा नित्यस्त्रीसंगत्याशार वलीमाधुस्वानाअंगमपोगसंध्यांनकवाणइनही अनळेबाहाचर्यनुधरणहारस्थानाअंगउपागलाच सिरळ निधासायश्चिछायचंगसंवा चामल्लधियायहियाबसाधररसंधीग। चरकगिविवछया घामननश्वकप कर नईजोवाच
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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