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रहिवएखीया च्यारि प्रकारजांशिवाय एखीया लोक साहायक इंद सिइई) पण सर्व व्यायी मई)
ध्यठी दीप बार मसा
आध्याय पंचवटा गंधरस्वास संग मनवादिविहाणा सहस्रसादिर्यपरिक या बाधचा
हवयं रवी यान काल विभाग चिऊश्कारि बोलिधं
|परिकायंचन विहालिए। (दासतज्ञावान घरी यावजीवन संसारनी चिनादियादिनही। चंतन व स्वितिदिखीरी वनामक
दिया दिया। शकाल विज्ञागं ॥ सिंचन चि
शा संत इंगाईया
संख्यात मुलाग। श्राऊघा स्थिति। धन्ायाचि
। वियईसाई) यास पच सिया दिया था। पत्लिनमा र नाग तत ॥ ४ खरयं श्रखीयान काय स्थिति ऋष्पल्ये मुत्रियासंखेला पोपलिय
रखचरजीवनई स्वचरसंबंधानंदे हवा मिलन
असं विमानावादिवदय रा यमन संख्यानमुनागा पूर्वको डिष्टक साधिका नछुन्यकाय नियंत मासन महिना काडी पुत्र लीवरमा विष्टकाल श्रवतर। जघन्यव अंतर्गत नरोत मिलावा काले तमुका समुनयं यक्ष राम सिंचनाचा रस कासव संवा इत्यादिकगलियां तालेदना सहश्रवमनुष्य बिऊंनेदे आगिवा। मुमनक हितां सांललु एक समुर्विमबीजा गर्ल -प्रदसनवाविविहाणास दस्म सेोमयाऽविहान याचा मम कित्रयत्रशुला समुचिमार्थमया। ग
मुनंदनिया कार्य विश्वदयरागां परवचरजीवन रसगं स्पर्शान