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________________ । दिक बिरदरा२॥ ॥ !! उश्य रिमन चडप्यदनि चचित्रका रिजाणिवा मुकनकादिकरादिका बिखरा गाना 'गंडीक हितां जम आदिक नामाइन ख सहितपगसिं तां सोशल रुमती फूतश्वाचा सद लावा चन्यायाचा विहान । नभित्रिव। ८२ खुरापुरकराचर/गडीघर सिनेपया दर्यमा गा दादिका चिजका रिलचारी चच सपना बिलेदरे । एकरपरिसर बीलु परिसका दिया मर्यादिकतेवर परिसर्पनका लादिक ते उजपरिसपेडी गाइमाईसी दमाइा छन् सिदिमाग परिसध्या या परिसध्याऽविहोला। गोहाई हि माझ्या । इति कणगा वा ॥८४॥ घलचारी पंचेंद्रियजीदायक देमिक हिया कानी ॥ सर्वलोकन विघन कहिया । राज्य एघलचारीजा दानादापछा लाएगादासं संसाद्यानंस दिया दिया ! रात्तां कालविला तिमिवाच्वचि होज्या संत चन। संसारी जीवन संसारनीडितश्रादिनी नई सदवित्तियदियतिक हीइ ॥ ६ गधान चरजीवन त्रिशिल्प या सिया विद्याविमुञ्च माई याममा विछानिय मानिलिया ग कृपापात्र प्रतवारी जीवन कायश्चित विलोम सर्वकाधिक जन्यतानीति जिवमा इति त्रिन नकोत्सव सादिया । प्रद्योकार्डि अन्तरासि 1281 पालियरातामुनिया पण ॐ) जघन्यवात काय श्चिति तेघलचारी जीवन । लचर जीव संबंधानंदेह वां निई। वली घुलचारी मो दिश्वतश्वरं। ष्टमं मुनियम कार्यविधि काम कालांतर जयन्तीका कमरीः राग अंतर्गत सिमसाग का नेता चर्मम स्वायाचामाची मी या दिश्रोम पवी या राजहंसादिक संघ रूपम मुझतं दमयोगियोविदभिमका घल यांच्यंतराचामधला में परकीया। तय समुपाकिर्या यानी योषावस्तार ११०॥ P र મળતી そこ
SR No.650012
Book TitleUttaradhyayana Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorJaysundar
PublisherSanchor
Publication Year1682
Total Pages230
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size124 MB
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