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________________ ते नागत मेली सर्व काल पर से० जावत समोल्कत्तेषश्चानु | तेयुवनिर्विशे० प्रथ सर्विसेय को ए7 तंत से कोलते पानु सर्विसर्वका मानुपूर्वी ए० ० निचे ए° एक अटि हेइ ए०ए के कोन धानता अनंतनाग० समुहने ग०पोशेत्तिसे टिश्रेणि ते इमाशा पा६१८१० जावतानंतर ते हन‍ ल किंत पळा डुबी सब | जावसमये तपव्वा पुची (सेकितं प्राबी २ या एचेच एाइयाइए अन्यामकरी ए इ गुणा पल्ले वेरु पठला करीयर सेण्ने अनानुर्वि | हवा | उपनिधी का अ०मा हिमा हि ぜ एगुलरिया एतायात मन्नमन्नलामो सेतं 31 मनानु पूर्वी. अथको लते 1 २ कालानुष्ठ | विकार [कवी ते देवा के ( हर्वानुमवि | पश्च काला पुच्चातिविद । पन्नता त०] बुच्चा पपुची (पता बुद्दी मला पुबी सेकित बालु एक समय स्थिती नापुजावासं पर तो समय ती यु०युर्वि | अथकोणतेच नाल से०त० ते बुद्धी | एगसमय द्वित्तिए जावा संखे समय हि भए । सततचा एबी सेकिंत खाली ० पश्चानुची | कोणते अतानु हव संध्या ती स्थिती नापुल | जावता सुमनी स्वि संवेद्या सभ्य डिइए । जाच समय दिइए सेर्तपळालुपुच्ची । सेकिंत्तं पुत्री २ एए एए एकमा दिदे ए०एके का वधारता मासं जावत असंब्परता से माहो माहि न्यास करीय न ब्रतानी हुने पोहत्ती से०श्रेणी तेम १२३४ पात गुली पवेरुपत्र एाकीजे तीना याधार एजाएगुत्तरिया ए ॥ अथतेनानु से०एतं पनि कालानु | सोहरुचाणी से तंत्रमा खुबी से तंउवणिहिया] का लाणुपुची । सेतं काला ए बुद्धीतः संखेषा एसेटिए । अन्तमन्त तख्ते (का०कालानु से०ते १० 1 पुची / हवाउ व लिहिया
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
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