SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गमन हारन अनमत श्रनुयो वदहमा ८०२२ धव‍ना परूपलाए नागाजी समुकिला का जे | मध्यको पाने नुव न वा ॥ किं च बहार २ • महमा खेता लुपुच्ची च्चाई ॥ कि०सु वव्यहार नय नम ते समु किता हि करश से किं ते लेगम म वचाएं | जसमुतियो | चिलुवुची ि अवक्तव एए निमजे हडिड भागाका तिमज्ञ दिनानाला टनल अनुश्वन २६ क्षेत्रीका पूर्वी एनलीविसे न देना नातिम लालुपुच्ची । श्रक्ति एवंत हे वडि । तदेवनियī [नवरंग नालिया तव भागानु देवा ० मा स्थान के | से०प्रचको ते तु | मात्र काचेवरु तेरे बाबत्तापनी क पुला गोवरेसला तहेव समीया राय । किं तं श्रणुमे २ नव हिपन्नत्ते । तं । संत अषरुव ला गाथा होनेनमथ व्यहारभान मते क्षेत्राची प्रय जालवी 'T किं० नथी उत्तर निममा एव ૧ गाड़ा) किंभविन चिनी याचि एवं निविहोज से पता संपता नेता हमारी प कम ая चकबर चलने व मासवड्रम प्रहार नयनम ते उतरक संपतान ही खेता नोसरखे झा नेगमवव हारनयम श्रीम लोकने के तले भा मत इ ऐगमचच हाराएँ [ श्रापुविद चार लोगस्सक २२ महारा] डुबी हबार किस खिझाई || संप्पतालो अनंतान थी वा का का सामान्यसंध्यात श्रसंखे। मो ताई । एवं दोन्निवि नाथपनी परुपा ૬૧ या एएम वच द्वारा नानीच्या पथ पहुच या ए बेन्ना
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy