SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इसी मधारी मेनि वारेसो व धरने चिबेस ज्या व०श्रसस्त भावोपक्रमादिक निपीते गुरुवार कनानाच उपक्रम कुत्ते प्रसस्त भावी पक्रमक हिंदू यस गुरुनानकम्मे नाम उपक्र परमाल पक्र प सुविति वारे भरतार नोयोग नि स्पा ते जे तले कुसी लसेव वा वाळे ते तले तेन ॥ वालो की कन्पकमको वे सास्त्रयक्रम की बथवा गुरु भावोपक्रमक त्यो साभावो वि सास्त्र नावोपक्रमन ने कही से ते० ते रे बाहे वे विप वा ॥ तमे ॥ विपन्नते । तं ॥ नथधिकारपत्र समतापक्रम ६ वोल नाटा थन्मनु क्रमी कही एले म पमाणु ३ वत्तद्वमा धाहि गरे । [समवधारे (६ । सेकितं त्रायु हेळे नानामानुस १०स्वापनानुहर ०द्रमानुवीर तानुस वी 8 वाप क्रमश नाम रात्रिमा हिवस्तु एकही ते दण्डप्रकारे वरुपी ते ते देवा क्रम म लघुवि। १॥ से०को सं०] से न्यानुर्वि मनु की कहिइहव कालानुस घी २ \ दुसविज्ञापन्नत्ता) तेजसु । नामालु पुची वालुबुधि । दद्याद्दि । खितालु कीर्तानुरवी ६ गणनानुपूर्व संस्थानी खानु सर्व सामाचारी नान्यामा पुचि कालापुवि । उकिता लालुपुछि जलात्तालुपुबी सहा लालुपुवी । सामा मारिया मनुश्च नाव ना नुतची १० | [ नामानु पूर्वी नाम स्थापनावस कमी परिनि मजर०द्रया तेजी ( कनीय पुपुवी) नाबालपुद्धि | सेकिनेनामालुपुधि ॥ नामडवला हेव दद्दालुपुची ॥ रिजावत्तसे० अथ कोण यसरीर व्यतिरक्तद्र मनु को वेप्रकारे मीसा माय कारिव्धय नवस्तु था वो उत्त तेजालसरीनविण्यरुपीते रेषा सीधा तिधीही वागमथापीय ए जाव से कित्तं ॥ जालग सरी रजविया वरिता बाली२॥ विज्ञापन्नता है। जाली कही नुप्त द्विकारे थावृतेोचनिधिक हिय इएरधीगम बेव अवलिदिया। प्रालोव ििडयाए ॥ ॐ विस्तार मावि ते अनोपमतिमा हिजा०जे सा० ते ०उपनिधीक सा० ते उपथापनी चच्चजा साज व लिहिया साहा ॥ गलक तब माही
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy