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|| सेकिंले कालो वक्कमे ॥ जलना लिया हिं वस्तुना से का से० प्रत्तेकाल से०का कोल तते नावनो भाव क्रम परिक्रमनोउयक्रम थ उपक्रम ना रे प्रकारे सेत कालो कम्मे । सेकितावको विपन्नते जाल अनुपयोग सहन के माम पथ की नावउपक्रम थकीनाव पक्र मे नमू तं ॥ "यागमठ ॥ नामत्र्य ॥ श्रागमय ॥ श्रागमजा एचवतेो की जापक्रममा प्रसस्वनाव बत्र कारे
आगमथकी र सामाय कना
उपक्रम
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चक्रम १
क्रम
अतीउप प्रसस्त मे विषयक बायोम ब्राह्मएएए परिक्षाने विक्रम किधी महि पसचे ॥ सच्चेय ॥ अपस छे डोड । लिगलिया मनाइए । पहा ह्मलीनेत्रि एक बेटा तैतिल ने लिया पछि ब्राह्म एचित तिमरु जमएचे टीबी था एक प्रधीमी ल सेवयानु अपराधहियश्वरी गारला तर करमाथा माहिमा यो निवार तेन तरि तिम्ले हनो व सश्मक हिउ प्रीयता हरवजयी नी हसीता हरोपन्प्रत्तिसुकुमालनेमाहरुमस्त ककवार नली एहन पीएह कहो ने स्त्री नोपगची सवालागी पथि एसर्चमा तान्गले कही पळे ते जणी जमा इनोभाव जोली मनमा हिह बी नईवेटी प्रत वोली हे छत्री ते ना घरमेवि बेरजे ममन मान इतिमकनी नरतारथाज्ञा लोपसे नही (हवी जी टी करि नीते मजसि बवि ही घी तेली इति मज की कनि वारेन र तरिमेामारेति वारे से रोजा एपी एबात चला मनुधनेक कीनूतीने नली चल एकेरीस करीनर निवत्प तेलि समाता, नेनिवेक माता वोली मनमानइते करजेन तहिर चितवनेवी बेटी नी रमक लिए है सी सेज्या घरमध्ये सध्या यानविषे नतरना संयोग नीवेना तरि का इएक जालीन र मस्त कवी बे लातकरी-नरसरिहायमास्यो कृती न करते मुजने जलाव से भी
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