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________________ | पकव्य) हेगोत्तम । ६० वेप्रकारेपप्पा तेरे | बघेल का प्रनुयो यसरीश पं० ० हि पं० नं० मुकेल कर देकियस बाछे २०१४ सिलेसेटिलेविकं नसु को जीत बी मे तिने ते वधेलकवे कि जोन की ने वेक्रिय र मजएतखीवि वघेलया मुझेलगाएत सेनेवधेलया जानता सेच ते संपतीनीवर काम करतासात राजनुप्रयुकथाएतला जो स्तंप्रतरले वैक्तिविस्तार वेळ २५६ बागुलौए के थवा गुल नाममनोवन नाग किज ने तले वीएत ले बेबपन्नगुल अवय नागी कजो त बीएम करै तेसम चयरसभु वीतरथी संब्यातगु पाजो त नेता जाल वा व्याहारी कसरीरजिमनार की निमन्वाधेल का हा बी 303 दारिकतिम कजो सबी ने न केल या जहिया (उरालिया माहमसरी] जहने रस्याएं (तहान लिया तैय भुकेला | तेजस कार मल सरीरतिमानाजवेक्रियतिम | कवेकितान कम्मग सरीश जहाएय सिए चैव ॥ वेविया ॥ तहाना लियवावेमा शियानेते के के सलाउद्वारीक सरीर गोमिनारकी नेत्र द्वारी कसरी रकमा तिम घुमा नव्हेजन तिक ने पल कहि वा वि० वे मानी कने ० ० जानेर राम्नासिया (विमालियाएं नं ते गोमचेप्रकारे पकाते देवधे लगवेक्रियमुकेलगवे । तिहा केचश्या वेविय सरी । प० गो०वि० [सं० विधेल याएभुकेलया ए ॥ aa वधेल संपात से ध्यान क्षेत्रमा सर्पिलीनाने तला सभा से तला वैमानी कजा वा कालथी मानजाल वो ती उस पिलीव जेमानी कम हकमा है जबन पनि नारकी जोत बी थी ते कर जेवधेल या ते खेद्यासंखेाहिसे पिलिहि के० के 1 क्रिय ति का ल वश्या३रा लियासरी के तला वेकिय सरीन ७४
SR No.650011
Book TitleAnuyoga Dwar Sutra
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorShivchandra Porwal
PublisherRatlam
Publication Year1853
Total Pages200
LanguagePrakrit, Marugurjar
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size101 MB
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