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ते श्री चरी पं चित्री
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अपर तामनुष
संध्याता वा सामंत रा
ते मजो तबी वे मानीक
का बेरदिया | तेहियाचरि दिया। पंचेदिया म साना से खेद्या वा ले त रा ( एवं जो रसिया वे त्रता सिद्ध सेते ते ले एकदि संख्या लाभ ही
जीवद्रमते, संख्याता नही
मालिया
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सिद्धा से तेलले गो० वनचरजावाणं नासंखेद्यानोळा संखे आ नेताजीवद्रव्य अनंता जीवद्रव्य है एज ८० का प परुष्णा तेरुपी जीवद्रव्य रश् पाले केत लोप्रकारे परुष्णा जीवबालर्भ तेक रविपन्नता गी० विपन्नता नं०/रुवी जीवदबाए, प्ररुची जी वह रुपी जीव देत | तरु३० प्रकार 1 5 लोकने स्वीजी व बाए । रुवि जीव दद्या मैतेक रवि पं० गो०- इसवि पं०] [सं० प्रश्रहिं ४ मस्तिका या धक हिदू६० लोको कह२६०धर्मास्ति का घनो अधुमस्तिकाय नोक्छ देस मा एल से मस्ती का नो देस निरनागते जगते सकही प्रदेशका स्ती काय लोक स का धम्मचिकाय एस्स देसे | धम्मचिका एसएसे एवं श्रममच्छिकाए मागास प्रदेसकालमा नेरनवार नधीतेन ली वर्तमान समय ग्रहियो का० काल एवं ५०० रुप जे नीति त समय विल वो मनागत सम
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लेह १००रु पीजीवद्रव्य है केले कारे हे गोम व्याश्प्रकारक | ठिकाण त्रा श्रधासम एफवी जी व बाएं ते कुरवा पंजी०वि० तेषा चेप्रदे मी या दिकं ते बधन प्रदेस लोखंबंध भावयाम्प माल कही सरूपी जी बे धनतेरस के हो? त्रिभागारिक अवयव बंधप्रदेस बंधूनामवयव एकाकीपरमाया ले द्रव्य हेम से सज्य किस्प तण खधा । संधसाधपएसा परमाणुवोग्रले ॥ | तलझते किंस किया