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सुप्प०दिययपादेयप इसकी सर्वप्रका कर श्री जिनवचनसाचा करीस किस करीन इस ममेव सम लितालीया काव्यक्षेत्र का तलाव रूपक पदार्थ सम्परप्रकारिस्वतीर्थिकपरती र्थकमाबाद जाली भाइरामा मिनुष्य लवी पर जारी परतीर्थिक वादनिश लोकमाहियाराम परमार्थदृष्टीने र तिन मते संयम कद वातेच्या सेव
वारंग
करण ॥
नपरिता ॥
दादी उपलहिया सह । सुखाप) सम्माम सालि जागिया । इद्वारा मं । परित्राय श्रीगुत्रो परिचाए गि संयमी बोयोजन कोई न थी तथा वीरकर्मविदारवासम उतता कर्मः श्रवधारते हो विषयक पायरूप जाणिवा ते ० ६० एते० एवजाकमीश्रव श्रीच्या० सर्वशप्रीत याचार करी सदासर्वदा का लोकमार्थ नामक स्त्रीविषयीचा प्र० सवना इसक पराक्रमकर शिष्य तक बरपराक्रम करिजोना सिलाषी ति• मनुष्य तिवादिकनामुषा तिला मध्यवाजचागिरि वाहन उपमा कला तिमिर बेसुधमीस्वामि वचनादव र उप● देवादेव शिषरीदिकनी वान गुफादिकत ला उपलोग ना स्वान कविविधना इजिप्रकार अर्थ स्पातली तेक हई ॥ वाचनिराईपाप
ना प्रकारका ॥
हियतीवीर प्रागाम सदा। परिकमे जासि । शिबमि (उद्दांसाया | श्रादासाया | तिरियासाया | विया दिया। एतासा
एनाकारण बेजा लियान उसंगकर्मनी
• आर्चरागद्वेषविषय वेदनी कहता मनोज (ए) श्रोताश्रदधार विपक दत्तालि एस० ९प्रत्यकक्षमा क क्रिदेष देबी स्टालिवाली मागम करीस रुपया उवे० लोची विमानाश्रव वाली निश्खम्मको पालना कर्मघातीयाका पराक्रम कर संयम पाजवली जान उनि विनिवि द्वारनिरोधक २३ ॥ इतवारित्रले श्राद्वार तयाच्यारिरहित तेजा
शेषकद
इ॥
लसेनस्फयु एतेक दमकललोक स्वरूप विशेष थकीपासंतिक हतासा
याविचरकात्ता जहिं संगतिया सदावहं आपदा | एच विराम जावदवी दिए । सायनिस्कम्म/एसम्मक्षेत्र
मान्यथकदषतेजन्पन्न कृतिमत्रा नित्यमार र वापि चाल मनुष्यलोक ज्ञान मानवतस्कर चीन इंद्रियविषय सूषमनिस्पृद बालीयानी प्राग सिंगतिजालीम कब तिहाइ नामावली इजना रिज्ञाइबर निराकरइतिवारतेने नसे रासूरनशदिक नीका जापामी म
रा करीन ॥
अजीत बत संयमानुष्टान विषयव के नियही कहता मोहनम थी। श्रथवामी झाजेल समस्त अर्थ प्रयोजनए
प्रतिक्रमै तेस्फातिमामानेर म ते ॥ इदमहम कहती मार्गी लावता कर्मतेषु पावशते कर्म व पीन || वि。प्रभारुषार्थ पाइतपयमा नुष्टानन विषा
गुलक है।
एप
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कम्माजा पनि पासति (पशिलदाए | नाव कंरकति | इहागता गतिपरिणाय | अचेति | जाईमर एस्स वहम मां वि