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________________ साता तेस्का व सममार्याच्या जागी ते प्रतिमार्यबापा ॥ प्रदो जिन्दनमा सुषमाता खतिम सर्वान सर्व तन सर्व जीवन सर्वसत्वन सातारा ताखन मनन निमत परिनिर्वाण निवृत रूपमा सय ऽख इस जो एसर्वप्राणिवादी म कहि व अएण इवनिदो धनी परं जेमकहाणी या दलिदो पतनानि वचनमक ही परमन निराकरणक श्री स्वामिक है। शिबेमिण् मक के बउ निमश्री सा बेत समीपममपजाः॥ इतिश्री सम्यक्काध्ययने द्वितीय उद्देशक समाप्तः ॥२ श्राचारंग ३१ वयादि। एवंासाद्व सिंपणाएंगे सच्चे संस्थाएं (सद्धे सिंजीवाएं सद्दे सिं सताएं दिवेत्री नोउदो पारसी येन ॥ बीजे उदेस पर मत निराक रिवरसम्मार्थ वेद०जेश देश कि सम्पादचारी ज्ञानाने चारित्र त्रिलोकख दिया धर्म कादिरी निरवद्यतपदिनाक निरुपन शिकारिकसम्पतपस्वरूप नवे०के० वेष्टन त्री उद्देसक दीयबा मोदि मतिनउपस्चियमक रिजमकर लोक सायं परिनिन्द्याएंगे। मदझमं | इरक शिबेमि कवि० लिचीन ते सर्वमनुष्यलोकनवि की अधिक थे बजे का। 5 11 20 इतिश्री सम्पका ध्यान द्वितीयो उहे शासकः समाप्तः||२||अव दर बहिया जाये। ससञ्च लोयंसि जके विष्णू । 21-0/2 पशुविवेकः । ] नेनिखितदंक केदा | कर्यतेयजइश्ता वतानिए | एम कविडकयू ऊ हाकरेने करेनर पुणेने दुसली होते या बोरस्ते या के देख साथ किया लोचने जो सेक॥ उमनो वचनकाय जेकेई प्रालिया॥ देकारक मनुष्य विनाकर्म कय करिया सनदी नोन को अपने रब एतावता संसारमा द रूपजेते निविद पावसात शरीरने जे नामनएन जनि गाली जेवतो गवतेारसनो फलाए बाजा निकर्म शरीरते वली के हवा मात्रिरूपाली मनुष्यनितिकर्मशर्मनाक एसी कोटिल्प रहिन । २वरुवा थाइ ॥ इमजणे कशा ६० जिमरोदयुत मंत्री पा वीयपास | निस्किन्त्रदंडा [जाक सत्ता | पवियंचयति । पारसन्तञ्चा | धम्मं वित्तियं। आरंडुरकं मिशांतिना मानषि दरदवाकयथार्थ शारीरीकमानसीक तेऽषम्पान कारण कर्म त हानिए । इतिश्वेत्ति प्रकार ४७८यादिप्राप्तकर्मांणी इश्वचन विष शीश्मक ददेवम्पऽकार पिते इमक दैनिक दैव ॥ बदारवादी परिमादेयान स्कनी पहन परितार्थ जोन नईसर्वप्रकारनिपरिज्ञाकद इति श्र० वीतराग अस्पारख्यान परिता इसे हुन बाको एक इस्फर करस्फंकरिव तेकहै बइ ॥ नाव पदेशमा जालीन॥ उष्टावीजे एव एवमार्कसम्मत दंसि [मो] [तसच्वैपावा दिया । ऽरकस्सक सलाप शिन्न मुदा दरं ति | इतिक्रम्मंप रिलाय सज्ञासा | इदयाप्रीत्यादि पर मपरषचा नेपा नगर सिंह सेन राजान रो उतना मा३श महाम
SR No.650010
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorMayachand Matthen
PublisherVikramnagar
Publication Year1736
Total Pages146
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size75 MB
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