________________
2/3/3
21410
सूयकः मोहते हमे बिधालय स्तर गामी ती कामाव परि०क० परिज्ञासा उपदेशक देव नौकारण जाली हाम सुप्प लोकविषेाजकद तादि बाजीपुरु
इमादलिया यवीर |[लास स्सया समिरयं मदं तं | तम्हा यवीरविरएवदार बिदक सायं लऊ सूयगामीश गथंपरि
कहता
पायापरिमयेक तांविषवरूपीय श्रोत प्राणीया प्रवा दिया जी वरूपी यो काल बैश्री सी होतनीसांत निधि पूर्व मोक्षमार्गन श्री तोम्फेरियति पदेश शिष्यप्रतैकदै नोपा ज्ञापरिहर ॥ नामजाली सके. इंडियनो दमकरीवरेज लगाते हमी भी सददा संयमनैविष लि० प्रालीया जीवमाप्राला इंडियन सादिकते हमास भारतमक रेसिएता बता पाचर ॥थाविभिष्मा वीर्यमुक० उन्मजाला जीवावयते न करें सिसिबे मिॐ मकॐ बुजी मनीरसमीप (त्वरूपीय बाद्यासंसार रुपीयाविनैविषैतरिव तेलदेकलही मनुष्यनैवि से सत्यै॥ः ॥ इतिश्री शीतोस्ती यात्रा द्वितीय देशक समाप्तः ॥ २॥श्री सायद धार सापरिणाय्चरिझदात) उम्मुल६६ द माणाव दिं ॥ [ नायाणि पाण समाराला सि| शिबि
बीजचारित्र याने खनाम दिवो क दिउ परंते निके व जिचारित्रमेश धिवसरसम्पक ज्ञान प्रारूप प्रमादश्रेय या भुटान करिवोध्यायश्व० जेवणाच्या दिये कि संयमनसोक दवाइ तेरही बीज इस सीनथी जिम में दिमाहिलो कृति निगमादिकं त्मानै सुषवलल व अनितिमा बम ने राणाजी उका सूत्र ॥ तैलैरी बीना देशरी ॥ बः ॥ २॥ नोजली प्रमादलमा विममा क नई कर्म बिवर बने जिमज्ञ देषिति र कारण प्रोलीनेद् ऐन ही द प्रेमीप्रमादश्रेयसीना था धर्मक वइन ही॥ रिवानासर लो० क० • समस्त जीव तेहने पीडाका
मिः
इतिश्रीशीतालीयाध्यानद्वितीयेोद्देशकः॥ बः संधिला गस्स जात्रा |
ताना बहिध्यापास| तदा
यद्यपिकेतला एक स्कूल जीवपाकीच्या भट्णेश उपिाध देस किं से निधिप्रभु नै परिलो तुम तिंकरी पर पास प्रा विघातक रावै । एको तपापकर्मन करिवैजश्रमानक दवा वीजमिकु पापकर्मनाक विन्नम० क० माहोमा हिलानी या सकाऽथ वा लाज करी । प० क० माला बने पापकर्मन करे। किंत तक तो तिरो मुनिकार एक किवान । एतले फेक जेनेरोनी लाजच्या धाकर्मिका दिपापक निकमुनिमकरीपापनकरै मकवाई। किंवान का ति श्रीगुरुसरकदैas
देता | विद्याया | जमिविस्वावदिंन्नमन्नवितिय बिएप मिले दाए नकारे 5 | पावकम्मं किंत मुली कारणं सि
कार हा इषयावर लोसन विपाकमान एक देषजेट्ली | तिलिका ररिणवीरवाजी व घातकी) बेद शोकते के तथा दो शिष्य ॥ लोला सिलीवादिकनै विषास विरत था। तथा ॥ मदीनरकगामी थाइ ॥
वो ॥