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सूत्र सि० संसारी जीवन
तथा वारीचे पनौतिकार जीवन वेगेनीका नकमा रेकी कर्म बंधा मीवचमी वस्वानकिप तथा वै मानवा सकमनेकवार विगतानी दिने तथा नीनी पानी के मदन करितिक इतिमखाय ० क० सजा दीनमावान काल गीतिर्यग तिमाहिर कीमत स्फंक रिवो कह नही वो लीक 3 बुभिमत पुरुष गीवादमा उत्रमा तान श्रादारंग विश्कपन || "तक दे ॥ कापी है | जाति प्रभुषाल बैनहरे जे मदक गोत्रम राना नहीं हो मोह 5.5 ते नकद हे कारं नकर इ
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| उच्च गए। असतिंनी या गोय गोदी ए मन्त्रिरित्र सोपी दे । इति संरकाए। के गोटयावाद के सि० क० केदने विवेक व कापणे करे । संसारमा मो० क० तथावली ने पूएस्फको र तेक है वे सूते हितेश्राम कभी जेइ लजी बनने का रम घी कुम्प इणिकारणिति गोत्र पोमी विबाद क०सर्वंीवि०० आलोचन नजाति वा रजा हिमवाविषादक रिवै तेक म्हनकर जागो तेस्मा •सुषसर्वजीवन सपना देषाब
१० लिएका र लिकित अच गोत्रे पोमी हर्षमम ॥
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वादी। कं सिवाएगसिशे । तदा ये मिते सोद शिरस | सोऊंशे । इते दिजाण | प मिले प्रेप | बहिरपणै| | मूकपणे | कारणापलो ऊंटप कव्हा कुजए तथा बस पुणे ते बौवारी तथा सेबल का वारी जिम बीविबेरमै श्राकारात. रविष कटादि रोगडकरी ऊंच डिगलोमा या सामॐ विचित्रपण चीन भा
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थपगरण उचक्र थप७॥
जदा | अंधत्तं | बदिस्ते |श्य से कारात्तं |ऊंट्टेनं | विरूपरूपशी तो स्पर्श प०ि कृ० लागव । एतावताजे प्रमाद करते सर्गतिसंसारमा दिनाना प्रकार पुरक सागवे दिइननो विशेष स्त्ररूपक है ||
योनि स
सायं समिएएयाय स्मीत
रतला रोग विशेष । प्रमा। दस हितकरूपनानाप्रकार
खुद्यतं वसत्रे | सामन्ती संबल सपमाएं।
गरुवा
से चल० कृ० ३ चैत्र नौ सिमानी कर्म नौ विपाक जा एतौ ॥ इतो पहले माइते कर्मन उदय ग्राम नानाज कारव्याधिकरी बिनट शरीरपणाम की दतक दवा इस मस्तलोकना पराल व सवय को उपहत रवा इतथा कर्मन विपाकजाईक जनमाम मरिखेड ते • इम संसारमादिसमतच दिसाध्य जोशी - संधापत्रि| विरुवरुवेफासे | परिसंवाद इसे बुशर्माण देतो वदति (जाईमर एएं| मराफ पेरिरहमा १६
व सायन विष बलै विपर्यासमा म क ॥ ॥