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________________ की काही प्रतिकदि (जजन पारगामी परिशाइवढा लो लोक दर्ता निराद | गंमाक तोप राउत || पम्या काम लोग | निमूल लोलची मी चा दिवस मनाला तास संयम पाल पराउने एक रीलोलविगाह इनदीको सेवनहीं श्राचारंग विखन्ना कॐ निश्चले जन लोक दिवै संशाया रंगामी १ किमधारयादिला की क्या क १५ एवमुत्राॐतिजा जा पारगामिणो ॥ लाल लण | डुगेबमणि लद्देकामना लिगादतिविद्याविला निरकण्प्रब्रज्या ते कर्मघाती याच्या जारा विशेषथकी अदणी सर्व संगमादिलो सब पर्यालोचनाई जो सन हो । एस०अ० के० एन दिन की विपरीत के दौ आदरी रिकर्मरहितनिरावयास ते सामान्य दो संयमजे पाले रणजाएब तेज ॥ गारसा विशेषइक दीय शतक है। हो पकजे जीव संयम थकीपरेग्मुषो रात्रिपरितप की उरुये था इसे जो एी स्फक रिवैौति कहै है । पहिले दा ए० कती दोष उनी निरकम्मरमा कम्मे | जाणए पास ई | पडिले दाएनावर्करकति | एसमएगारे त्रिप बुधई प्रहोयराउय परि मालकार्य तथाकालकालमै विष‍ व्याकुल समु०क० सावधान चित्र संयोग नौलोली श्री कंध वेदादिक। [विमा स्पान करणार || अनेक विविधवस्त विष निविध चित्रा इथिवी काया दिउपघा तकारिया शस्त्रविषवली तथा कार्यविशेषपा पूर्व तप्पमा एकाला कालसमुधाई। संजोगडी हालोली यातुंप सदसाकोरे विशविवचित्र पञ्चसचेत र कवि एवं ज्ञातिभवनल दारादिकस्पती॥ आत्मबल सली भास्पइ ॥ स्वनननउनल मित्र नउबल ॥ परलोकमै बलम श्बल कप तथादेवन इंथास इं रायमलबजाव सायद स्प इसोज ली और नथापन साहिऊ कर5 || पुणे सायबल सहाय बाल सेस लबले से मित्र बाल से पेच्चन लि से देवबले से रायबले से चारबाल १५
SR No.650010
Book TitleAcharanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorMayachand Matthen
PublisherVikramnagar
Publication Year1736
Total Pages146
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_acharang
File Size75 MB
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