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तेमुनियादारविना रामतोलाव आपणे विषेच्या मार्च रोऽपरिहरेजिम समाधियां मे तिमक से को चन की है पीपद संथाराध की कि दीनिर्या सुजादिकून इसको विव इंद्रिये करीआनिस्सादिमसारे तिम करती 3 सांग वो कसाबसा था इसोथाइ जेतली से मिस थारेवितेतजीमा दिया मर्यादिकने सन्तु तथा पति इसारखे करी । एतसा घोपा वाले तोते ग. गहन पाम जे हंसलीयथोक्त मार्गमतिक्रमन होते हसणी गरदीनथाकी पात वितथा वाना स्पासणीकर5॥ कि हवेली तर थकी कोलतो न थी तथा समा• धर्म ध्यानश्वानप्रवृति समाधिस
मामत
दिन॥ २४॥
इंदिएहिं गिलायांनं| समियं चादार मुणी तहा शिरादवालाजसमा दिए || २४|लिकाम मिक्काम) से प
का० शरीरते हम साधारिदो इदोइंगित मेरे अथवा पादोपगमन जब वातथा सू तो गाव लगवाई तो परी。 निर्यामत प्रदेश विषैवाले। च्मक टिलगतरंगतागतिकरे तिमक समाधिराषवैविदर्थविषयती पर सक्रिय किया राधा कसब इस । यथाय कसा पिहितगात्र तर दलवली इमरदिव५१ रिक्तेशने इमकाय व्यापारश्कर रहित इकट्वाइ ॥ १५॥ पामत कता उच्चथवा वामइदा दिएाइ पास अथवा देगायत निम समाधान
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सार) काय सादार राणा | एवं वा विद्यावया ॥१॥ रिकामपरिकिनात । वादिदेशयात | वाए। परि की लाल ।
पाम तिमकरे १६ ते साथ आसीन कहतां चाश्र तेस्फ [अ०मनेरे आदरता 5 स्टेला एह बोखताई को० कं एकीटकतेहूना आवास इतस्थ कौले वित करुसांजी वर हित यि वपुरादिक इष्टानिष्टविषया की रागदेषनै करिव समीर सम्पक स्वानपताना जेहमी हि एउफूलका दिकच्ाव टेली अकारप्रेरै । एतावतारागदेषथकी निवती ॥ समता परिणामावली वादेहिकादिकजीव पा3 गवेषजे नुष्टान अष्ट नउनिवास एवं स०पामीने सनादीका की कांती ॥
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सिसी द्यायचंतासा||१६|| एलिस मरणं इंदियाणि समारए। (कालावासं समासाद्य वित पारस श्व
वज्ञ नारीनैता विकर्मकहीये। अथवाध्यवद्यपापते ऊपजे विदो का विषवलेन ही ताप उत्पनाकार थी। अपने प्रत्यक दिवमांकही स्पेते मरण निव तथा सर्व स्पर्शक तापस की उपमाराऽखते से है मनमादिमजी धूम रज़े शरीरबाहिनीपरमे वायततर६ टप्तरवै । केवलन मादस्वधर्मानुष्टानते हनीमाथी नारीनीमम ताक रिस्पर पी डॉस्पमत्रांलीप परिसाथ करे गित माय सपना सदर इंगित मरण तलक हिन पादपोपगमनस्वरूपक ह तेरे मध किंड एपादयोपगमन गितम
॥१८॥
वहां समुप्पाद्य सततंबर | ताता जवकास अप्पा | साइफा साधिया सर|| १८ | अयंवाय तत रेसिया