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प्राचारंग० हर
अभिरामा पिलिन है । एबी २ जेद साकन इमलियद । ॐउं जो लोग ॥
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मंचो सातिस्मा मि|राजस्म लिषुस्स एवं सवति ।
एत्री जाग ३
जेसाक नइ इम इॐ अने रानै
रानानादिकच्या सिउन ही रात मा पउलेप S
देवख मुत्रन्ते सिलि ए सवाद दुदिन इस्सा मित्रा सादिक | अनेरानै अनादिकाली देस्कंनदी ॥
अनेरान रोप लसुन ही स्याद्यो लोगो ॥ लिपर हवीच सांगीहि मने सियह अलि हता
संलिषु साध श्रादुनोद लाइ
मंत्र सातिद्यस्मा मि||३||जस्सगं शिषुस्स एवं सवति ।
देवस्व
काईएक साकरिजजित्रि जे मानवैमलियॐॐ स्व लुनि तेतिमा शिपदते हन। एक लिहोज पणापरि लोगको अधिक रतो व तावात देस लीजे कहता पदिय ह कर देषा जेते प्रतिमा प्रतिपल नरषणीय बोजा करी ॥ मरख ॥ सूत्र ॥
स्पेसातिघिस्सा मि||६|| देव खनुतितिरित्रेण धणि
सामि | मंच |
तथा महापरिग्रहिएकता | निर्जरा च्यापन जारी।। आपन अर्थली ४बई ते
एइकरी॥
साधर्मिक वैयावश्यकरुते नाउपकार ललि कोई तथावजीने रादषाम इब अथवा | न एक एहतियकरई ॥
परिगदियां मरण वा४ | लिकंदसायोक्ती
ते लैप रिसोम थी च्यधिक
माप९ हवैमा रो की निर्जराजंली ॥
दम्मिय स्स) क द्यावेयाव मियंक र गाए। दवा वितेशा महातिरित्रेया धस रिधि । परिमा दिए |सरोगण
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