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________________ हिवैविस्तारक है 959 कांत नेमलेकर फरस्तांच तेनी जेइंद्रानो हायैरस्पामा सबै ते > ४२ नंदी स्कजोइंद्रायाना फरसबै तेहथकाश्रो वेदियना फरसचे गटतेमाटे कुल मात्र दई तेायुंकारणते स्पुका जैक ने तेगनास त्राने मघा तथा लामाटैतत्काल कारमै तत्काल यह वेदे रुसने 90 बला नेत्रे कुराने पा०देषइते • आप्पाने अणकरस्पाथका देवई एक्लै श्रीवैादा २ फरमेंडा ३ रमैा ४ मारकर स्पाकीजा अनेक नेत्र फरस्पांजा गं० गंधनैर० रसनें फा० फुरसें बलोलीत तिलैकरा ने मिथ ने फरमै तिवारे जाते इहांकांननाविषय १२ जोयलगा धफरसे ए नवजोयना ला एपांचजनाविषय परतिसंपादेविशेषपणकरसीः हलेस लास -9963 गंधरवाच तेथापनाच्या मदथाई केली नथी वैशिष्मा करी स्वामा श्रोराजघन्य आगुलनो पातमाग उत्कृष्ट १२ बारासे जोयानो रासस फरमा ज धन्य आगुल संख्यामा उत्कृष्ट नवजोयलनाकलकर स्पांजा व कनो विषयजघन्यगुलनो अमारसंष्पात मोलाग उत्कृष्टशैलाभ्यो जनकाके रो देंगे तो किस् आत्मगुल ११ मा २ वेदांगुन ३ तेईहां किसाले वाते गुरुतरक है गौतमः इंद्रायानाविषैते आत्मजा तेजेनला जिणकालना मनुष्यवैति २ कालना मनुष्नो आत्मागांगुलले वान लाजेस बयानाविधै आत्मा आएल लेवा नै बेगुजलीजै भरतमस्को कटक १२ जोजनबैले समुनोत्रा ने सांजले तेन रतेश्वर ना आत्मा गुलना १२ जोजनना ऊबे जो मल घोर तिवारैनेयादिकनो शब्द सर्जकटकमा हिन त्यादिकस कारण जालवा अपना आगुलनो सदा काजैकर सराबोर है घटेचैनी तेमानलेवा तेनी इहामायानी। विबैते सर्व काजै मनुष्पा गुला इत्पातियावलीक्नोली जघन्पत्रा गुलनीय संपात मीनाग अनैतत् । ४२ मागुल ला जो जनैका के संदे कर वेदे तो इहां कोई कह तो वेगलो बैतो आत्मा गुलते किमदेषई तेहनै एकायै जेलजनाको तनोमा हमा तेजनो कामसहित बैसोनदेवतेोषजोजन पिसना नावे देवी का क २२ जान जो जन मालदेवेति राधे विलेयतन नावलाई एकसाथ सारे तिलसरुनो को सिय दिवस १ हिने जे नावासनलाई तेनिकिवन तापा बोलेते हाजरा मानलीये तेही व्याकरले भा०शनी कपास समीश्रेणी २ ६षिराते रानाल वृदा राजलोकमाहि व्यापारला येते मलानै रानी जोलीत घनश्कने रायते मी०मिश्र कहि
SR No.650009
Book TitleNandi Sutra
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorHansraj
PublisherNagor
Publication Year1931
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size68 MB
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