SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सन्तेएस राव नानीदृष्टाल / तम्मनाते हना सवयीसारा करदेने जमले दण्ड | | काफाल / मानव / तिकी जानवी विचारमारप्रकार नोवरुप्पातीर्थ कातिमक रेबै: थकार थकी २ थकी थकी लाहमेत मन गहिंते । तेसमा सविता तंज दर्ज 2/काल /// प्रा. मतिमान त्रासमात्र राजा जा बयान करुन नही नदेखे 1 रानै इन सर्वप्रकार ननदेष | खे० नेत्रकी च्यानल मतांम्मान | आ• संक्षेपय | स०सर्वक्षेत्रमा 1/4 प्रतिलिनो हियनाली आय से सबदबा (जाल) नपासे (रक्ताति/बोहियना ली। एसे का कालय / प्राणी मत्ताज्ञानक / प्रा० ते१यका स० सबके जनी समयानीवातन जाले न० विलदे | नानावको मरतं । जाल नफा से शकाल मनिला बोहियनाली एस सबका ला जालना सराना महराने का संक्षेपवका सर्वकार नानावर्णादिकसली तेरिवेाधान | नारकरनी २ चारमि ० द्वाहादि कनो चलो प्रतिबोहियनाणी । आए सेल सनावे जाल ईन पास ॥४॥ गाथा ॥ गाथा हा अवाज्य कर भागधारणा | एवं इन-वली | आमती | वनानावली | अदको यस्वातभारणान्त वै-चु-माने वै माननार्थ जाणैवाननबलीक हेबै: यायकः ३। धारा ४॥ एवं तिक्तानि बोहियनागममय वा समासे ॥ गणा भिन तप्ते नैतिमज | वश्वस्तनो निर्णयकरैनिश्चय घा० वासनारूपधराराषनोते उनः हिवैच्वयादिकनाकाल सत्र नीजी जीगाथा मै अंतरंग विचारखो करते अवायकहीय बलीकरणावतार्थक रादिक कही रूपकः यता एकसमय नोकाल जाबो २० विचारवानी कालः a देवइन होनावनैजा. जागे धगाथालिकायैः | ६० हजालवी पैर गाहो।तह विशालवले हाववसाय मित्रवायं । धारणाभरणंवित्ति रागाहए। एग समय हा ॥ निश्चय करवानी कालकनी काल नोप्रमाण जालवी काल लेना जालनो एतावता कालदम्बर व सनी प् कासमा तो कालं तथा नोका पांच इंदिना विषय मनोग तिनाभेदादिककहता जाणवी वाय॥ तमतं काले ॥ संखम संषज ॥धीर लाहोरी नाय बा॥ ३0 | द
SR No.650009
Book TitleNandi Sutra
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorHansraj
PublisherNagor
Publication Year1931
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size68 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy