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________________ नंदि सूत्र २५ ते मतिमानकहियैते । तेश्रुतम्पा म०मतिमान १०१६ मताम्पा न करीन छ-सान नऊ‍ ใ जे जिले ते माग्पान विगतमतिपात म्पाननइते जे पान लैबै पिलमलिना उपयोग विनाऽव्यवैते विलनिसार थाइबैति श्रुतनो विचारमतिविना न इतेमा हाम तिम्मान विनापाशुताननऊः जैसल निनिबूश मानिलिबोहियं नाप्पासणे इतिस्तु यं मानयं जेलस्यं तमयि बिया । विसे मियाम अविशेषरहितधर्मनी म० मतिमानक हायै विशेषसहित स्वरूपनि नीजमती वैशुद्ध दीनामम ममतोम्पानन ही मती अम्मान होइ चस्कनो आदिअनुमान एक्लै धर्मनीवरचा विना विचारते शेष मते मतिग्पान तानो विचार एवं मजविशेष रहितः स श्रुत तेमतिकरानैकरै मण्मतिसम्मान जाणवते नो सम्पकर को: मि० निष्णाते जैतपांनकहियैः इमतिनाचमनाच विसेमेया समविस मनाचा मित्र दिवस भिन्न प्लै सान लेते श्रुतम्पानकीये सम्पग्रहष्टिने सश्रुग्या मिपान सांभरूतेश्रुतमान होइ बलाते हनो 9नः बलाते नो स्वरूप विशेषेक हे सानलबुते (नह मिया नाचायलाच विसेमियं । सय समदिवस मनाएं मिचदिव सायं मया सेते अथ रिपुं प्रा० मतिमानते दोयश्कार | तं तेजिम बै सुनते श्रुत सिता प्र० सिद्धांत नाचा व्यहणविना हांगुरु बोल्पा हो गौतममतिज्ञा परुष्णाक तिमक हेबै: दिकनार्थना हाथ निश्चितर की जापान मनाएंच। एवंविसे 7 स्वरूपविशेष बैठे: नना: सा लामो कित आनिल बोहियनाएं विहतात]सयनिमिया अयंचनिसियंच२॥ तेरिया सनाथविनामा चमारश्कार उत्पात का ते तेजपदार्थ नेत्रेन थी दी होन थी सामपतेने जे मतिबु वस्तूः नवैते निश्रत रुपाकातीर्थकर म क हे कणदिवैतेनो करने जालै ते उत्पात की कार विनय करतार बुधक विचार कहे मजेते नै विनय की बुक हार कर काम करता६: ऊप मानना र देवतेजिम से किंतेासु एयं निमियंच/२/चज विपन्नता। तेणउत्पतिया । विलया। शाकमिया/३/ पारिणामि जैते कमी या कुछ कम जैसे मामा कन्कायेधपान कार मनोला धोनथातेमा टेन कलो सांपों मबेकनथीत तेक्षणमात्र माहि६ कहिये जेजेवंय एह कुछ नो विचार व्यारप्रकार कलौ पूर्वपदार्थनेने करदागेन थी: म० कानै कुरा नथी निर्मानस्वरूपबैतेयाने उत्तर:या बुधिच विबुता पवमानो बलत्तिय ॥ मदिहं मक्ये || मवेश्यत स्कूल विसरू६ तांद २५
SR No.650009
Book TitleNandi Sutra
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorHansraj
PublisherNagor
Publication Year1931
Total Pages130
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_nandisutra
File Size68 MB
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