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________________ | तलई | त्रिलिवार || पगसुं लोल्पो चांप्पो] तिवारपबी | ते कामदेव ] | श्रावकन । ] तेनी वेदना ही तलसिति स्कूलो| पादेसु लो लेति ततेां से कामदेवे समो वा सण तं द्यले डाव श्रासी । | तिवारपबी | ते देवता हस्तिरूप ] कामदेव | श्रावकप्रतई ।] कांइन चालई । पब दिया सेति। ततेां से देवे द चिरू कामदेवं सम रंगो वा सयं। जादनो से चारति जा हलव२ ॥ उत्तर उत्तरी नई 1] पोसहसा लाधी || नी सरर्शनी सरीन | दिवा दाधीनुरूप । बोनें दसलियंशपञ्च्चोस कश्२ पोसदसाला तो | पडिरिक मतिश विदरुिवं विपन दिव्यप्रधान ॥ || एक मोटो | सपनों रूप || विक्ररुव्युं ॥ उग्रवीषि ॥ दृष्टिविखी ॥ मोटी काया॥ मसी उंदरतेसरी दनिशएगेम दिबं सप्रू वां दिवति विसं|दीही दिसा महाकायं मसी मुसा पोकालो [) नया विष | रोषें रोमिप्रतिम | श्र जलना दगलास रिषीप्रना । रातां नो हिमरिषां लोचन कालगयं नयण विसरोस पुणं जणंपुंज निगरपगासं रत चलो दिय लोय
SR No.650006
Book TitleUpasakadasanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorSomji Rishi
PublisherSurat
Publication Year1783
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size29 MB
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