SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ए श्रेये प्रत्ताति सूर्योदये बेरुलीमा रणति संलेषण ऊसरणा सेवना से वानई उपास से या कलेजा वाले मामा रगति यासेले हा सणा ऊसित सम सात पाणी नुं पचषाण करानइ काल प्रति ऋणीब एहमन माहिचीत व २२ सत्तापडिया खिया कालाव के खमाणसाविहरत्ताए वसंपे मरान काल वानु वक विचरुं इम चिंतवर तेवार हति। कल्ले पान पश्चिममा र जाव कालं व कंखमाणे विहरातते प्रजाति बेहली आराधनादिक पत्ताय रामनने प्रणाम करा बीते रुद श्रावक एकदा प्रस्तावि मुषसमाधि सुत्त ध्यानश्कर न ६ तस्माद समया कया। पुस लेप) चोषिइमनश्करीन‍ तिवारश्यावरण जे कर्म नं। शव साग | सुपरिणा मे कयोपसमश्यामइ अवधि गाले साहिं विसुनमाण हिंतिदावरणि जाग कम्मा व नवस मेगगन हा २२
SR No.650006
Book TitleUpasakadasanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorSomji Rishi
PublisherSurat
Publication Year1783
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy