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________________ प्रस्ताविपु.मधान राचिनविषणिप्रस्तावि धमजागिरिका जागितज्ञधर्मवाती निवि घजागतनघत याकयापुचरनावरतकालसमयसिधम्मजागरियं जागरमाणस्साश्मेय श्रान्माविषअतिप्राय मनिश्चय वाणिक ग्रामनगरनविबजघणावी संकल्प पारघाऊपना श्वर सावप्रवितिसमुपजिबाएवेरवलाअहंवाणिय ग्रामे नगरेबजगराई सेन जाव जातिस्वजनपरिजन कैटे बाबानर) असनाहि आहारकरावा एणिविषेये। यह अवध नश्कहिंद. .कसे आबाप सर जावसयस्सविणकुडुबस्याजावाधारोतजहाएपणचखेवेशोअहनो नहाँबल वेतररुविकंघरऊट गवंत । श्रीमहावार पासिराधम प्रज्ञतिक स्यो अंगीकारकस्यो ते बस्तार में श्रमण सचाणमिसमणस्तगवतोमहावारस्यातिएधमंपतिनवसंपडिताण अादरानम्ह श्रेय निश्चयामुमनानातिजघकि सूर्य विपुलविस्तायसन जिममूराण जम पाले ऊगाह पानषादिमास्वादिमाधावतामधाचन विहरतातिसेयखलाममंकल्लं जावलातविपुल असणध जहापूरणा
SR No.650006
Book TitleUpasakadasanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorSomji Rishi
PublisherSurat
Publication Year1783
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size29 MB
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