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________________ ऋनिग्रहग्रहान नामलाधुसमकित प्रश्न संदेरुमनना पूनि सुधर्मादरि अर्धदेव श्रमण हिन अधि श्रावकनाविधिजाणिष्टिाधारिश उपासग वत्तिग्रह अगिटविस्तापिसिणाईपुलतिरंगमादियवासम नगवंतनश यामहावारन विणिवारवादिय नमस्कार कर करानः। श्रीमहावारना ऋतिसमापि श्रमण नगवेता पत्तगवमहावारतिखतीवदशरसमणसगतगवनामाहावारस्सात्रावयाच घका उनिपलासाचेतवनघका नाकलनाकलान) जिहाकणि वाणिक गामानगर जिलोस्पो रूपलासानाचे पाऊपाशनिखमतिावरणेवावाणियांगामे नगरे जेणेव तानाघरनतिको अावशावा सिवनदा नायी प्रतिर म कहिाणंदाश्मंनिश्चय हे देवानु सयगेहोतेणेवनवागबनासिवणादात्नारियाणवेवयास एवंखलुदेवाणुपि प्रायो अाजमिछ। श्रमण गवत वाद्या' श्रामहावारपासधर्म सोतसो सोतलता तेधर्ममः।। यामसमणस्मात्तगवनामहावारस्सातिए धम्मानिसंत सेवियधम्मामक नई
SR No.650006
Book TitleUpasakadasanga Sutra
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorSomji Rishi
PublisherSurat
Publication Year1783
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size29 MB
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